चुनाव आयोग में सुधार और स्वायत्तता के मुद्दे पर SC की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से नियुक्तियों के लिए एक स्वतंत्र चयन पैनल की मांग करने वाली याचिकाओं पर 4 दिन की सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुरक्षित रखा. जस्टिस केएम जोसफ की अध्यक्षता में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की 5 सदस्यीय संविधान पीठ मामले में सुनवाई कर रही है.

चुनाव आयोग में सुधार और स्वायत्तता के मुद्दे पर SC की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से नियुक्तियों के लिए एक स्वतंत्र चयन पैनल की मांग करने वाली याचिकाओं पर 4 दिन की सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुरक्षित रखा. जस्टिस केएम जोसफ की अध्यक्षता में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की 5 सदस्यीय संविधान पीठ मामले में सुनवाई कर रही है. पीठ ने मामले में सभी पक्षकारों को लिखित दलीलें देने के लिए 5 दिनों की मोहलत दी है. सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में तय करेगा कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जाए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अरुण गोयल ने 18 नवंबर को उद्योग सचिव के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी और 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त के पद पर उनकी नियुक्ति हो गई. इससे पहले कल के निर्देश के मुताबिक अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने गुरुवार को पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति से जुड़ी फाइल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की. पांच जजों की बेंच ने फाइल पढ़ने के बाद अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, ‘चुनाव आयोग ने पद की रिक्ति की घोषाणा 15 मई को की और अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति वाली फाइल को 24 घंटे के अंदर ‘बिजली की गति’ से मंजूरी दी गई. यह कैसा मूल्यांकन है. हम ईसी अरुण गोयल की साख पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं. एक ही दिन में फाइल को क्लीयरेंस कैसे मिल गई? यह पद 15 मई से खाली था. आप बताइए कि 15 मई से 18 नवंबर के बीच क्या हुआ.’ इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि वह सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका तो दे. अटॉर्नी जनरल ने शीर्ष अदालत की संविधान पीठ से कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है, फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, ‘कानून मंत्री ने 4 नाम भेजे. सवाल यह भी है कि यही 4 नाम क्यों भेजे गए? फिर उसमें से सबसे जूनियर अधिकारी को इस पद के लिए कैसे चुना लिया गया? दिसंबर में रिटायर होने जा रहे अधिकारी ने इस पद पर आने से पहले VRS भी लिया. हमें किसी से (अरुण गोयल) से कोई दिक्कत नहीं है. उनका बेहतरीन ऐकडेमिक रिकॉर्ड रहा है. हमारी चिंता नियुक्ति की प्रकिया/आधार को लेकर है.’ जस्टिस जोसेफ ने केंद्र से कहा- ऐसा नहीं समझना चाहिए कि हमने मन बना लिया है या हम आपके खिलाफ हैं. हम केवल बहस और चर्चा कर रहे हैं. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ गलत नहीं हुआ है. पहले भी 12 से 24 घंटे में नियुक्तियां हुई हैं. जो 4 नाम DoPT के डेटाबेस से लिए गए, वे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. पीठ ने पूछा, पर यही 4 क्यों? फिर उनमें से सबसे जूनियर का चयन क्यों? अटॉर्नी जनरल ने इस सवाल के जवाब में कहा, नाम लिए जाते समय वरिष्ठता, रिटारमेंट, उम्र आदि को देखा जाता है. इसकी पूरी व्यवस्था है. आयु की जगह बैच के आधार पर वरिष्ठता मानते हैं. सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका की छोटी-छोटी बातों की यहां समीक्षा होगी? संविधान पीठ ने कहा, हम सिर्फ प्रक्रिया को समझना चाह रहे हैं. आप यह मत समझिए कि कोर्ट ने आपके विरुद्ध मन बना लिया है. अभी भी जो लोग चुने जा रहे हैं, वे मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर 6 साल नहीं रह पाते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Central Election Commission, Election Commission of India, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 24, 2022, 13:15 IST