राजनीतिक दलों को वादा करने से नहीं रोका जाना चाहिए- ‘रेवड़ी कल्चर’ पर SC की टिप्प्णी
राजनीतिक दलों को वादा करने से नहीं रोका जाना चाहिए- ‘रेवड़ी कल्चर’ पर SC की टिप्प्णी
Freebies: रेवड़ी कल्चर पर चल रहे राजनीतक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतक दलों के मुफ्त चुनावी वादों (रेवड़ी कल्चर) पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं से वायदा करने से नहीं रोका जाना चाहिए. सवाल इस बात का है कि सरकारी धन का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है. कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से अपनी लिखित राय शनिवार तक जमा करने को कहा.
हाइलाइट्सकोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं से वायदा करने से नहीं रोका जाना चाहिए.मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है.कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से अपनी लिखित राय शनिवार तक जमा करने को कहा.
नई दिल्ली. रेवड़ी कल्चर पर चल रहे राजनीतक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतक दलों के मुफ्त चुनावी वादों (रेवड़ी कल्चर) पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं से वायदा करने से नहीं रोका जाना चाहिए. सवाल इस बात का है कि सरकारी धन का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है.
कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से अपनी लिखित राय शनिवार तक जमा करने को कहा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव में मुफ्त की योजनाओं की घोषणा पर रोक की मांग की गई थी. इस पर आज सुनवाई हुई.
राजनीतिक वायदे ही चुनाव जीतने की एकमात्र कसौटी नहीं
सुनवाई के दौरान सीजेआई एनवी रमना ने टिप्पणी की कि हमारे पास आए तमाम सुझाव में से एक ये भी है कि राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं से वायदा करने से नहीं रोका जाना चाहिए. अब सवाल ये है कि किसे मुफ्तखोरी कहा जाए. क्या मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी को मुफ्तखोरी कहा जा सकता है. मनरेगा जैसी योजनाए भी है, जो सम्मान पूर्वक जीवन का वायदा करती है. मुझे नहीं लगता कि राजनीतिक वायदे ही चुनाव जीतने की एकमात्र कसौटी है. वायदे करने के बाद भी पार्टियां हार जाती है. इस मामले में बहस की जरूरत है.
गौरतलब है कि पीएम मोदी चुनाव में मुफ्त रेवड़ियों के वादे के सख्त खिलाफ हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में ऐसे वादे करने वाली राजनीतिक पार्टियों को प्रतिबंधित करने के लिए एक अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की है.
इस पर कानून केंद्र सरकार बनाए
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मुफ्त घोषणा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की दलील दी थी. इस पर अदालत ने कहा था कि यह हमारा काम नहीं है. इस पर कानून बनाना है तो केंद्र सरकार बनाए.
इसके साथ ही तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन की पार्टी डीएमके ने भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. डीएमके ने अपनी याचिका में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 38 के तहत आर्थिक न्याय को सुनिश्चित करने और सामाजिक असमानता को खत्म करने के लिए मुफ्त सेवाएं शुरू की गई हैं. इसे किसी भी हालत में मुफ्त रेवड़ियां नहीं कहा जा सकता है.
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Tags: Political parties, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 14:20 IST