15 माह पहले केजरीवाल सरकार गई थी SC अब CJI ने सुनाया ऐसा फैसला LG हुए गदगद

Supreme Court on MCD Aldermen: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी सरकार को बड़ा झटका देते हुए कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास MCD में एल्डरमैन मनोनीत करने का अधिकार है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. दिल्ली सरकार का कहना था कि MCD में 10 एल्डरमैन मनोनीत करने में उपराज्यपाल, मंत्री परिषद की सलाह और सहायता पर ही काम करने के लिए बाध्य हैं.

15 माह पहले केजरीवाल सरकार गई थी SC अब CJI ने सुनाया ऐसा फैसला LG हुए गदगद
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में समय-समय पर केजरीवाल सरकार बनाम एलजी जंग होती रहती है. एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर भी काफी समय से जंग थी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अब विराम लगा दिया है. दिल्ली में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार एलजी यानी उपराज्यपाल के लिए पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी सरकार को बड़ा झटका दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास एमसीडी में एल्डरमैन मनोनीत करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला केजरीवाल सरकार की याचिका पर आया है. दरअसल, 15 महीने पहले केजरीवाल सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर गई थी. पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में गजट नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत एलजी ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर नहीं, बल्कि अपने विवेक से एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति की थी. सीजेआई यानी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने यह फैसला सुनाया. एल्डरमैन पर LG का फैसला एकदम सही… केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहा- आपसे सलाह की जरूरत नहीं सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने क्या कहा सीजेआई की बेंच ने दिल्ली सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि उपराज्यपाल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ नामित करने के संबंध में मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं. फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत एलजी को अपने विवेक से काम करना चाहिए. सीजेआई की बेंच ने कहा, ‘अधिनियम की धारा 3(3)(बी) (जैसा कि समय-समय पर संशोधित किया गया है) स्पष्ट रूप से उपराज्यपाल को निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार देती है… प्रयोग की जाने वाली शक्ति उपराज्यपाल की वैधानिक शक्ति है, न कि राज्य की कार्यकारी शक्ति. इस वजह से दिल्ली के एलजी अपने विवेक के मुताबिक कार्य कर सकते हैं.’ केजरीवाल सरकार को झटका सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, उपराज्यपाल सरकार की सलाह के बिना एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा 1993 के एक्ट में उपराज्यपाल को यह अधिकार मिला हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि एलजी को आम आदमी पार्टी सरकार से राय-मशविरा की कोई जरूरत नहीं. वहीं, अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था, ‘1991 में अनुच्छेद 239एए के प्रभावी होने के बाद यह पहली बार है कि उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए ऐसी नियुक्ति की है, जिससे एक अनिर्वाचित कार्यालय को वह शक्ति प्राप्त हो गई है जो विधिवत निर्वाचित सरकार की होती है.’ एलजी साहब हो जाएंगे गदगद दरअसल, सवाल इस बात का था कि दिल्ली सरकार नगर निगम में एल्डरमैन के लिए जिन नामों की सिफारिश करती है, क्या एलजी उनको मानने के लिए बाध्य हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निगम के लिए जनवरी 2023 में एलजी ने जो नाम तय किए थे, वो ही मान्य रहेंगे. इस तरह से सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को झटका लगा. वहीं, एलजी इस फैसले से काफी खुश होंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर करीब 15 महीने तक फैसला सुरक्षित रखा था. पिछले साल दिया था संकेत पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं. एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं. दिसंबर 2022 में ‘आप’ ने नगर निगम चुनाव में 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा ने 104 सीट जीती थीं, जबकि कांग्रेस नौ सीट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी. Tags: Arvind kejriwal, Delhi LG, Kejriwal Government, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 12:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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