Sukhoi-30 MKI का पॉवर जानते हैं रूस से मिले फाइटर जेट्स को अब मिलेगा जीवनदान

Hindustan Aeronautics Limited: दोस्त रूस से मिले सुखोई फाइटर जेट्स को देसी जुगाड़ से जीवनदान मिलने जा रहा है. फाइटर जेट Sukhoi 30 MKI के लिए 240 एयरो इंजन की खरीद को मंजूरी मिली है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ये एयरो इंजन भारतीय वायुसेना को देंगे.

Sukhoi-30 MKI का पॉवर जानते हैं रूस से मिले फाइटर जेट्स को अब मिलेगा जीवनदान
नई दिल्ली: भारत के सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट की ताकत अब और बढ़ने वाली है. दोस्त रूस से मिले सुखोई फाइटर जेट को देसी जुगाड़ से जीवनदान मिलने जा रहा है. भारत सरकार ने ऐसा फैसला लिया है, जिससे Sukhoi-30 MKI फाइटर जेट जल्द ही ‘सुपर सुखोई’ बन जाएंगे. दरअसल, सुखोई-3- एमकेआई को और अधिक पावरफुल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लमिटिडेट से एयरो-इंजन खरीद डील को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब है कि सुखोई के लिए अब एचएएल यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इंजन सप्लाई करेगा. इस इंजन का इस्तेमाल सुखोई-30 एमकेआई में होगा, जिससे इसका ऑपरेशन सुचारू रूप से जारी रहेगा और नए इंजन से सुखोई 30 MKI अपग्रेड होंगे. सबसे पहले जानते हैं कि सरकार ने क्या फैसला लिया है. प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने सोमवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से सुखोई-30MKI विमान के लिए 240 एयरो इंजन खरीद डील को मंजूरी दी है. इस डील के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड 26 हजार करोड़ रुपये की लागत से 240 एयरो-इंजन भारतीय वायुसेना को देगा. ये देसी इंजन सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करेंगे और उन्हें जीवनदान देंगे. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब भारतीय वायुसेना के पास केवल 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान की डबल चुनौती से निपटने के लिए कम से कम हमें 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है. अब दुनिया देखेगी देसी दम सुखोई-30 एमकेआई को देसी जुगाड़ से और शक्तिशाली बनाया जाएगा. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि एचएएल के इंजन में 54 फीसदी से अधिक सामग्री देसी होगी. यानी इंजन में लगने वाले पार्ट्स-पुर्जे 54 फीसदी देसी (मेड इन इंडिया) होंगे. सूत्रों की मानें तो एयरो इंजनों की पहली डिलीवरी एक साल बाद यानी 2025 से शुरू होगी और आठ सालों में सभी डिलीवरी पूरी कर ली जाएगी. सूत्रों की मानें तो एचएएल के एयरो-इंजन से वायुसेना के सुखोई-30 बेड़े का संचालन सुचारू रूप से चलता रहेगा. इससे देश की रक्षा तैयारियों को मजबूती मिलेगी. इन इंजनों का निर्माण एचएएल के ओडिशा स्थित कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा. सरकार का यह फैसला डिफेंस के मामले में आत्मनिर्भरता भारत की दिशा में बड़ा कदम है. वायुसेना के पास कितने सुखोई फाइटर जेट्स दरअसल, भारतीय वायुसेना के पास अभी 259 सुखोई फाइटर जेट्स हैं. इनमें अधिकतर विमानों का निर्माण रूस से लाइसेंस लेकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है. इनपर 12 बिलियन डॉलर से अधिक का खर्च आया है. सुखोई फाइटर जेट्स भारतीय वायुसेना की रीढ़ हैं. रक्षा अधिकारियों की मानें तो सुखोई भारतीय वायुसेना के सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से अहम बेड़ों में से एक हैं. एचएएल के इन एयरो-इंजन की आपूर्ति से बेड़े की निरंतरता की जरूरत पूरी होगी ताकि बिना किसी रोक-टोक के संचालन जारी रहे और देश की रक्षा तैयारियों को मजबूत किया जा सके. एक और डील पर हो रही बात इसके अलावा, मौजूदा सुखोई लड़ाकू विमानों को और भी घातक बनाने के लिए एक बड़ी स्वदेशी अपग्रेड योजना पर भी काम चल रहा है. इसके तहत इनमें उन्नत रडार, एवियोनिक्स, लंबी दूरी के हथियार और मल्टी-सेंसर फ्यूजन जैसी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी ताकि ये अगले 30 साल तक हवाई लड़ाई लड़ने में सक्षम रहें. करीब 65,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना जल्द ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी से अंतिम मंजूरी के लिए जाएगी. इसके तहत सुखोई को आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस किया जाएगा. अब जानते हैं कि आखिर सुखोई-30 एमकेआई क्या है? भारत को सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स दोस्त रूस से मिले हैं. Sukhoi Su-30MKI लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के सबसे घातक लड़ाकू विमानों के बेड़ों में से एक है. सुखोई-30 एमकेआई ट्विन सीटर और ट्विन इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर जेट है. ये फाइटर जेट्स उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है. इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है. साथ ही इस विमान में डबल इंजन लगे हुए हैं, जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं. सुखोई-30 एमकेआई एक बार में 3,000 किमी की उड़ान भर सकता है. रूस के सहयोग से भारत द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में एक माना जाता है. बालाकोट एयरस्ट्राइक में सुखाई का क्या रोल? सुखोई-30 एमकेआई के लिए भारत और रूस के बीच 2000 में समझौता हुआ था. भारत को पहला सुखोई-30 फाइटर जेट 2002 में मिला था. रूस के सहयोग से भारत ने साल 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली. यह वही सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट है, जिसने बालाकोट एयरस्ट्राइक में बड़ी भूमिका निभाई थी. बालाकोट एयरस्ट्राइक में मिराज ने फ्रंट से लीड कर आतंकियों के ठिकानों को तबाह किया था, मगर उस वक्त सुखोई ही था जो मिराज को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहा था. जी हां, बालाकोट एयरस्ट्राइक के वक्त सुखोई ने मिराज को एस्कॉर्ट किया था. Tags: Defence ministry, Fighter jet, India Russia defence deal, Indian AirforceFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 08:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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