इंसानों को छोड़ बेजुबानों पर मिली सफलताबड़ी रोचक है इस अधिकारी की कहानी

Ballia News: बलिया के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एस.डी द्विवेदी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह ग्रामीण स्तर से पढ़ाई कर इंसानों की सेवा करना चाहता थे. एक बार नहीं बल्कि चार बार असफल हुआ. इसके बाद वह पशु चिकित्सक बनकर बेजुबानों की सेवा कर रहे हैं.

इंसानों को छोड़ बेजुबानों पर मिली सफलताबड़ी रोचक है इस अधिकारी की कहानी
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: इंसानों से जुड़ने के लिए मैंने हर संभव प्रयास किया. एक बार नहीं बल्कि चार बार लगातार हारता ही रहा और आखिरकार इंसानों की सेवा करने का मौका नहीं मिला और बेजुबानों के लिए हितकर बनना पड़ा. शायद ललाट पर इंसानों का सेवा लिखा ही नहीं था. मुझे तो अपना जीवन बेजुबानों के बीच गुजारना था और वही हुआ. अंत में मुझे पशुओं पर ही सफलता मिली. यह बातें बलिया सदर के उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसडी तिवारी ने कहा कि बड़ा अजीबोगरीब, रोचक और प्रेरणादायक है. इस अधिकारी के सफलता की कहानी…आइए जानते हैं…चिकित्सक की कहानी. राजकीय पशु चिकित्सालय नगर बलिया के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एस.डी द्विवेदी ने लोकल 18 से कहा कि मैं गोरखपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार का रहने वाला हूं. ग्रामीण क्षेत्र से होने के नाते 1 से 5 तक प्राथमिक विद्यालय के साथ इंटर तक की पढ़ाई गांव से ही सम्पन्न हुई. नहीं हुआ इंसानों से जुड़ने का सपना पूरा मेरा यह सपना था कि अब मैं एमबीबीएस करके मेडिकल साइंस में जाऊं. लोगों का सेवा करूं. इसलिए मैंने सीपीएमटी का करीब चार बार परीक्षा दिया. पहले तीन बार एमबीबीएस दिया और मेरा चयन एक बार बीएचएमएस के लिए और दो बार बीएमएस के लिए हुआ. एडमिशन लेने के बाद भी हमारा मन नहीं लगा. इसके बाद लगा कि अभी यह मंजिल हमारी नहीं है. हमें एमबीबीएस के लिए और प्रयास करना चाहिए. फिर चौथी बार प्रयास किया आखिर उसमें चयनित न होकर veterinary (पशु चिकित्सा) में नगर विश्वविद्यालय में सलेक्शन हो गया. इंसान नहीं बेजुबानों के लिए बना था मैं इंसान की सेवा करने का सपना कहीं न कहीं चकनाचूर हो गया, लेकिन हिम्मत न हार और लगातार प्रयास करना कहीं न कहीं सफल हुआ और मेरा बलिया जनपद में नगर उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर चयन हुआ. अब मुझे लगता है कि मैं इंसानों के लिए नहीं बल्कि बेजुबानू के लिए बना था और कहीं न कहीं इस क्षेत्र में मैं काफी खुश रहता हूं, और काम करते हुए बेजुबानों के दुख और दर्द को खत्म करने से मन को संतुष्टि भी मिलती है. जानें चिकित्सक की कैसे हुई पढ़ाई-लिखाई गांव से ही इंटर तक की पढ़ाई पूरी हुई, उसके बाद गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से मैंने ग्रेजुएशन किया. यह भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है. उसके बाद सीआरएफ के थ्रू आईसीआर से मेरा सलेक्शन हुआ. मथुरा में पीजी करने के लिए गए. फिर विभाग में सन 2001 में आ गए. इस विभाग में आने के लिए बीबीएससी और डीएच की डिग्री जरूरी है. हम तीन भाई दो बहन हैं. मन से पढ़ाई करने का परिणाम यह मिला कि आज हम सभी भाई सफल होकर नौकरी कर रहे हैं. Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 15:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed