एम्स दिल्ली के निदेशक का बयान- रोगी ‘रेफरल’ तंत्र पर हो रहा काम जानें इसके मतलब और फायदे
एम्स दिल्ली के निदेशक का बयान- रोगी ‘रेफरल’ तंत्र पर हो रहा काम जानें इसके मतलब और फायदे
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली रोगियों को प्राथमिक उपचार दिए जाने के बाद अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक तंत्र बनाने पर काम कर रहा है ताकि संस्थान अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को जटिल मामलों पर केंद्रित कर सके. संस्थान के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने सोमवार को यह बात कही. श्रीनिवास ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एम्स में हर दिन लगभग 8,000 से 15,000 मरीज बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आते हैं और ‘‘भीड़ को प्रबंधित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल है.’’
नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली रोगियों को प्राथमिक उपचार दिए जाने के बाद अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक तंत्र बनाने पर काम कर रहा है ताकि संस्थान अपने संसाधनों और विशेषज्ञता को जटिल मामलों पर केंद्रित कर सके. संस्थान के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने सोमवार को यह बात कही. श्रीनिवास ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एम्स में हर दिन लगभग 8,000 से 15,000 मरीज बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आते हैं और ‘‘भीड़ को प्रबंधित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल है.’’ पिछले महीने एम्स के निदेशक के रूप में पदभार संभालने वाले डॉ श्रीनिवास ने कहा कि दिल्ली में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों और प्रशासकों की एक बैठक पिछले महीने एम्स में हुई थी.
उन्होंने कहा, ‘‘हम योजना बना रहे हैं कि अगर कोई मरीज इस अस्पताल में आता है तो हम उसे आवश्यक प्राथमिक उपचार दे सकते हैं तथा अगर यहां बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो शायद उसे एक माध्यमिक देखभाल अस्पताल में भेज दें जहां बिस्तर उपलब्ध है.’’ डॉ श्रीनिवास ने कहा, ‘‘इसी तरह, दिल्ली के माध्यमिक देखभाल अस्पताल हैं जो विशेष विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले गंभीर और जटिल मामलों को एम्स के लिए भेज सकते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य संसाधनों, बिस्तरों और विशेषज्ञता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इस तरह से साझा करना है. इसके अलावा, यदि कोई मरीज बिहार से है तो वह एम्स पटना, आईजीआईएमएस पटना या बिहार के किसी अन्य मेडिकल कॉलेज और डॉक्टरों के पास जा सकता है. रोगी की जांच करने के बाद, यदि आवश्यक हो तो उसे एम्स, नयी दिल्ली में रेफर कर सकते हैं और हम प्राथमिकता के आधार पर उन्हें भर्ती करते हैं.’’
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निदेशक ने कहा कि बुनियादी ध्यान रोगी देखभाल सेवाओं में सुधार और रोगी के अनुकूल वातावरण बनाने पर होगा. डॉ श्रीनिवास ने कहा कि कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने पाया कि सबसे बड़ी चुनौती हर दिन मरीजों की भीड़-भाड़ है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां रोजाना एम्स ओपीडी में लगभग 8,000 से 15,000 मरीज आते हैं और हमारे लिए इसे प्रबंधित करना बहुत मुश्किल है. इसलिए हमने बिना पूर्व अप्वाइंटमेंट के रोगियों के लिए स्लॉट आधार पर अप्वाइंटमेंट प्रणाली शुरू की है.’’
एम्स, दिल्ली जनवरी 2023 से ‘पेपरलेस’ हो जाएगा और डॉक्टर एक क्लिक से मरीज के चिकित्सा रिकॉर्ड तक पहुंच सकेंगे. राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने हाल में सभी विभागों के प्रमुखों, सेंटर के प्रमुखों और सभी विभागों के आईटी/टेलीमेडिसिन/ ओपीडी नोडल अधिकारियों को अपने ई-अस्पताल मॉड्यूल का प्रदर्शन किया. डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि आर्थिक लाभ के लिए अस्पताल परिसर में निजी प्रतिष्ठानों के अनधिकृत एजेंटों की उपस्थिति और आवाजाही एक प्रमुख मुद्दा है तथा सुरक्षा, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मियों को ऐसी गतिविधि के बारे में बताने को कहा गया है.
अपने पूर्ववर्ती डॉ रणदीप गुलेरिया द्वारा तैयार एम्स परिसर के पुनर्विकास के मास्टर प्लान पर डॉ श्रीनिवास ने कहा कि मास्टर प्लान एक बड़ा दृष्टिकोण है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह 15,000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है. मास्टर प्लान पर बहस हुई है और हम विभिन्न स्तर पर मंजूरी की प्रक्रिया में हैं. अब यह स्वास्थ्य मंत्रालय और फिर कैबिनेट के पास जाएगा। हमें पूरा विश्वास है कि यह मंजूर होगा.’’
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Tags: Aiims delhi, AIIMS director, MedicalFIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 00:15 IST