SC में मामला जाने से पहले 6 खेत परीक्षण प्लॉट पर हो चुकी थी GM सरसों की बुवाई

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान केंद्र डीआरएमआर ने उच्चतम न्यायालय में जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर किये जाने से कुछ दिन पहले ही पैदावार के मूल्यांकन के मकसद से खेत परीक्षण के छह प्लॉटों में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के संकर डीएमएच-11 की बुवाई कर दी थी.

SC में मामला जाने से पहले 6 खेत परीक्षण प्लॉट पर हो चुकी थी GM सरसों की बुवाई
हाइलाइट्सGEAC ने धारा संकर सरसों को ‘पर्यावरण परीक्षण के लिए जारी’ करने की अनुमति दी थी. इस अनुमति के खिलाफ जीएम विरोधी गुट ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.SC में मामला जाने से पहले 6 खेत परीक्षण प्लॉट पर GM सरसों की बुवाई हो चुकी थी. भरतपुर. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसंधान केंद्र डीआरएमआर ने उच्चतम न्यायालय में जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर किये जाने से कुछ दिन पहले ही पैदावार के मूल्यांकन के मकसद से खेत परीक्षण के छह प्लॉटों में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के संकर डीएमएच-11 की बुवाई की थी. जीईएसी ने डीएमएच-11 को ‘पर्यावरण परीक्षण के लिए जारी’ करने की अनुमति दी थी जिसे अदालत में चुनौती दी गई है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक नियामक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने 18 अक्टूबर की अपनी बैठक में आईसीएआर की देखरेख में परीक्षण, प्रदर्शन और बीज उत्पादन के लिए डीएमएच-11 बीज को पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने की सिफारिश की थी. धारा संकर सरसों (डीएमएच-11) एक संकर बीज किस्म है, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स द्वारा विकसित किया गया है. इसको पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने के फैसले को लेकर वैज्ञानिकों, किसानों और कार्यकर्ताओं के बीच काफी नाराजगी है. जीएम विरोधी गुट ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. रैपसीड-सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर) के निदेशक पी. के. राय ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा कि हमें 22 अक्टूबर को बीज मिले और तीन नवंबर को शीर्ष अदालत में एक मामला सूचीबद्ध किया गया. इस अवधि के बीच उपज के मूल्यांकन के लिए इन बीजों को पहले ही बोया जा चुका था. डीआरएमआर को दो किलोग्राम डीएमएच-11 बीज मिले थे. अनुसंधान निकाय ने आठ खेत परीक्षण वाले भूखंडों में से प्रत्येक में 50 ग्राम बीज के उपयोग की योजना बनाई थी, लेकिन यह केवल छह स्थानों पर ही इसे लगा सका. उन्होंने कहा कि तीन नवंबर को मामले की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बाद से अन्य दो स्थानों पर इसकी बुवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि खेत परीक्षण के अलावा दो प्रदर्शन भूखंडों में 600 ग्राम बीज पहले ही बोए जा चुके हैं. राय के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी मुख्यालय वाले आईसीएआर के एक निर्देश के बाद डीएमएच -11 बीजों का रोपण किया गया था. उन्होंने बताया कि तीन नवंबर के बाद से कोई और बुवाई नहीं की गई है. खेत परीक्षण के उद्देश्य के बारे में बताते हुए, राय ने कहा कि आज तक बीज विकसित करने वालों ने भारत में कुछ स्थानों पर संरक्षित वातावरण में डीएमएच -11 संकर बीज का जैव सुरक्षा अनुसंधान परीक्षण (बीआरएल) -II ही किया है. बीआरएल-II का परीक्षण नियंत्रित वातावरण में किया गया था. अब इसके पर्यावरण परीक्षण के लिए जारी किये जाने के साथ, कई स्थानों पर उपज के प्रदर्शन का पता लगाने के लिए डीआरएमआर की देखरेख में खुले मैदानों में इसका परीक्षण किया जाएगा. पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक को विस्फोट कर उड़ाया, 31 अक्टूबर को PM मोदी ने किया था उद्घाटन यह पूछे जाने पर कि क्या दावा सही है कि डीएचएम-11 पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25-30 प्रतिशत बेहतर पैदावार देता है, राय ने कहा कि डीएमएच-11 का भारत में उपज प्रदर्शन के लिए कभी परीक्षण नहीं किया गया है. खेत परीक्षण पूरा किए बिना यह कहना मुश्किल है कि यह जीएम हाइब्रिड किस्म मौजूदा किस्मों से बेहतर है. उन्होंने बताया कि उपज का मूल्यांकन तीन मौसमों के दौरान तीन स्तरों पर किया जाता है. पहला स्तर ‘इंस्टेंट हाइब्रिड ट्रायल’ (आईएचटी) है, जबकि दूसरा और तीसरा एडवांस हाइब्रिड ट्रायल -1 (एएचटी-I) और एडवांस हाइब्रिड ट्रायल- II (एएचटी-II) है. उन्होंने कहा कि यदि उपज प्रदर्शन आईएचटी स्तर पर विफल रहता है और निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता है, तो अगले स्तर के परीक्षण नहीं किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि आईसीएआर उपज प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए सख्त निर्धारित मानदंडों का पालन करता है. उन्होंने कहा कि यदि डीएचएम-द्वितीय तीनों परीक्षणों को मंजूरी देता है, तो जीएम हाइब्रिड बीज किस्म वाणिज्यिक स्तर पर जारी किये जाने के लिए अधिसूचना को तैयार होता है. ये फैसला उचित वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद किया जाता है. राय ने कहा कि डीआरएमआर डीएमएच-11 की उपज के संदर्भ में प्रदर्शन की तुलना में तकनीक को लेकर ज्यादा चिंतित है. उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक और रैपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय के रूप में मैं इसे एक ऐसी तकनीक के रूप में देख रहा हूं जिसका उपयोग हम उच्च उपज वाली किस्मों को विकसित करने के लिए कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, यदि कोई मौजूदा किस्म 28-29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है, तो इस तकनीक का उपयोग करके उच्च उपज देने वाले संकरों में परिवर्तित किया जा सकता है. मालूम हो कि ‘गिरिराज’, ‘पायनियर 45एस46’ और आरबीएम-19 देश में उगाई जाने वाली सरसों की प्रमुख और संकर किस्में हैं. देश में लगभग 80-90 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती की जाती है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Agriculture, Mustard, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 14, 2022, 15:20 IST