सोनभद्र के इस मंदिर का है अनोखा इतिहास लोगों के लिए है आस्था का केन्द्र
सोनभद्र के इस मंदिर का है अनोखा इतिहास लोगों के लिए है आस्था का केन्द्र
जुगैल जिरही माता के मंदिर का इतिहास 700 वर्ष से अधिक पुराना है. इस मंदिर के प्रति लोगों में अटूट आस्था है. यही वजह है कि यहां दूर-दराज इलाके से लोग मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करने आते हैं. इस मंदिर में मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार समेत यूपी के भी कई जिलों से लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. यह मंदिर दो धर्मो के लिए बड़ा आस्था का केन्द्र है.
सोनभद्र. यूपी का आखिरी जिला सोनभद्र वैसे तो गुप्त काशी नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इस जिले को आदिवासी बाहुल्य माना जाता है. भगौलिक क्षेत्र से अत्यधिक बड़े इस जनपद में कई प्राचीन मंदिरों का अपना इतिहास है. इन्हीं में से एक मंदिर जुगैल जिरही माता का है. इस मंदिर का इतिहास 700 वर्ष पुराना है और कई मान्यताएं जुड़ी हुई है.
700 साल से अधिक पुराना है यह मंदिर
जिरही माता के मंदिर को लेकर जानकर बताते हैं कि यह मंदिर तकरीबन 700 वर्ष पुराना है. लेकिन, यहां का इतिहास इससे भी प्राचीन है. अगोरी राजा तब खरवार राजवंश के अधीन हुआ करता था. मान्यता है कि एक बारात इसी मार्ग से उस वक्त अपने गंतव्य को जा रहा था. इसी दौरान यहां विश्राम करने के लिए रुके. जब कुछ लोगों को प्यास लगी तो पानी पीने के लिए पास के नदी में चले गए. वहीं पानी पीने के बाद लोगों ने इस नदी का नाम पूछा तो एक लोहार ने बताया कि इसका नाम सियरी नदी है. यह सुन कर बारात में मौजूद दो मुस्लिम बरातियों को लगा कि इसका नाम उनके धर्म से कुछ विपरित है. इसके बाद उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया.
इस मंदिर के प्रति लोगों की है अटूट आस्था
दो बारातियों के प्राण त्यागने की जानकारी बारात के साथ चल रही बहु के रूप में जा रही जिरही देवी को हुआ तो उन्होंने भी ना केवल अपना प्राण त्याग दिया बल्कि सभी बराती पत्थर के हो गए. यह मंदिर मध्य प्रदेश की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है. यहां के पुजारी आज भी खरवार बिरादरी के लोग हैं और कई पीढ़ियों से मां की सेवा कर रहे हैं. इस मंदिर के प्रति लोगों में अटूट आस्था है. यह मंदिर दो धर्मो के आस्था का बड़ा केन्द्र है. यही वजह है कि यहां दूर-दराज इलाके से लोग मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करने आते हैं. इस मंदिर में मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार समेत यूपी के भी कई जिलों से लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Sonbhadra News, UP newsFIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 11:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed