मंकीपॉक्स से बचाएगी ये वैक्सीन 40 साल से ज्यादा बड़े लोगों को खतरा इसलिए भी कम है क्योंकि

monkeypox vaccine india: मंकीपॉक्स का वायरस चेचक के ही खानदान से है, ऐसे में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक का टीका इस पर अच्छा असर दिखा रहा है. भारत में 80 के दशक से पहले तक जन्म के समय ही चेचक के टीके लगा दिए जाते थे. ऐसे में जिन लोगों की उम्र अभी 40 साल से ऊपर है, उनमें मंकीपॉक्स का खतरा कम है, ऐसे एक्सपर्ट्स बता रहे हैं.

मंकीपॉक्स से बचाएगी ये वैक्सीन 40 साल से ज्यादा बड़े लोगों को खतरा इसलिए भी कम है क्योंकि
नई दिल्लीः दुनिया में डर की नई वजह बनी मंकीपॉक्स बीमारी के भारत में अब तक चार मरीज मिल चुके हैं. हाल ही में राजधानी दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में एक मरीज में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है. मंकीपॉक्स का अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है. लेकिन राहत की बात ये है कि स्मॉलपॉक्स यानी चेचक का टीका इस पर असर दिखा रहा है. मंकीपॉक्स का वायरस ऑर्थोपॉक्स वायरस के उस परिवार का हिस्सा है, जिससे चेचक आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी तक कारगर देखा गया है. अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स से निपटने के लिए चेचक के ही टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंडिया टुडे के मुताबिक, मंकीपॉक्स के करीब 2800 केस वाला अमेरिका मुख्य रूप से दो वैक्सीन लगा रहा है, Jynneos और ACAM2000. बालिग लोगों में जाइनॉस की दो डोज लगाई जा रही हैं. जाइनॉस मॉडिफाइड वैक्सीनिया अंकारा (MVA) वैक्सीन है. इसे यूरोप में IMVANEX और कनाडा में IMVAMUNE नाम से लगाया जाता है. ACAM2000 वैक्सीन में ऑर्थोपॉक्स वायरस की एक अलग प्रजाति का कमजोर करके डाला गया वायरस होता है. जब ये शरीर में जाता है तो इम्यून सिस्टम को लगता है कि हमला हो गया और वह इसे खत्म करने में जुट जाता है. इसके बाद जब असल वायरस आता हो तो शरीर उससे लड़ने के लिए पहले से तैयार रहता है. ऐसे में वो ज्यादा गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा पाता. इस वैक्सीन को लैब में काम करने वाले या स्वास्थ्यकर्मी जैसे हाई रिस्क वाले लोगों को लगाया जा रहा है. भारत में चेचक की बीमारी पर वृहद स्तर के टीकाकरण अभियान से काबू पाया जा चुका है. दिल्ली के लीवर एंड पित्त विज्ञान संस्थान (ILBS) में वायरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. एकता गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भारत में 1980 के दशक तक बच्चों को जन्म के समय ही चेचक के टीके लगा दिए जाते थे. ऐसे में 40 साल से ऊपर वाले ऐसे लोग जिन्हें चेचक के टीके उस समय लगे थे, उन पर अब मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है. ये थ्योरी इससे भी सही साबित होती दिख रही है कि मंकीपॉक्स के जितने मरीज भारत में मिले हैं, वो 40 से कम उम्र वाले हैं. बता दें कि भारत में चारों मरीज 30 साल से कम उम्र के हैं. भारत में चेचक का खत्म घोषित किया जा चुका है. इसलिए जन्म के समय इसके टीके लगना भी बंद हो गया है. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के लाइफ कोर्स एपिडेमियोलॉजी के प्रमुख गिरिधर बाबू कहते हैं कि भारत को भी भविष्य में चेचक के टीकों की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में सरकार को इसके टीकों का इंतजाम कर लेना चाहिए. वह ये भी कहते हैं कि टीकों के भी साइड इफेक्ट होते हैं, इसलिए इन टीकों को सबको नहीं लगाया जाना चाहिए. एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर संजय राय भी कहते हैं कि चेचक का टीका मंकीपॉक्स बीमारी से भी सुरक्षा देता है. जिन लोगों को पहले चेचक का टीका लग चुका है, उन्हें मंकीपॉक्स वायरस से ज्यादा खतरा नहीं है. वह कहते हैं कि मंकीपॉक्स को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. यह न तो ज्यादा जानलेवा है और न ही ज्यादा संक्रामक. बस इसे लेकर थोड़ी सतर्कता बरतने की जरूरत है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Vaccine, Virus, WHOFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 12:38 IST