मानसिक दिव्यांग मां को रेप से जन्मी बेटी ने दिलाया इंसाफ दोषी को उम्रकैद

Sitapur News: उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक दलित रेप पीड़िता को 18 साल बाद कोर्ट से इंसाफ मिला. मानसिक रूप से दिव्यांग पीड़िता की इस लंबी लड़ाई में दुष्कर्म के बाद जन्मी बेटी ने मदद की.

मानसिक दिव्यांग मां को रेप से जन्मी बेटी ने दिलाया इंसाफ दोषी को उम्रकैद
हाइलाइट्स सीतापुर में मानसिक रूप से दिव्यांग रेप पीड़िता को 18 साल बाद इंसाफ मिला सुनवाई के दौरान रेप से जन्मी बेटी बतौर गवाह कोर्ट में पेश हुई रिपोर्ट: संदीप मिश्रा सीतापुर. उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मानसिक रूप से दिव्यांग रेप पीड़िता को 18 साल बाद इंसाफ मिला. कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सुनवाई के दौरान रेप से जन्मी बेटी बतौर गवाह कोर्ट में पेश हुई. जिसके बाद सीतापुर की एससी-एसटी कोर्ट ने अभियुक्त को दोषी माना. 18 साल चले इस मुकदमे में एससी-एसटी कोर्ट के जज मोहम्मद शफीक सोमवार को सजा सुनाते हुए दोषी को आजीवन कारावास की सजा और जुर्माना लगाया. सुनवाई के दौरान मामले सह अभियुक्ता की मौत हो चुकी थी. 19 अगस्त 2006 को दर्ज मुकदमे में पीड़िता के पिता ने तहरीर में बताया कि वह दलित है और उसकी पत्नी का निधन हो चुका है. उसकी एक बेटी है जो मानिसक रूप से दिव्यांग है. उनका आरोप था कि उनके घर आने-जाने वाली एक महिला 20 अप्रैल 2006 को उनकी 17 वर्षीय बेटी को अपने घर ले गई, जहां अनिल तिवारी पुत्र परमेश्वरदीन तिवारी पहले से मौजूद था. महिला पानी लाने के बहाने कमरे से बाहर निकली और कुण्डी लगाकर चली गई. इसके बाद अनिल ने बेटी के साथ दुष्कर्म किया. साथ ही धमकाया कि अगर किसी से कुछ बोला तो पिता और उसे दोनों को मार देगा. इसके बाद बेटी को पीरियड नहीं आया तो उसने भाभी को बताया. पीड़िता इतनी डरी हुई थी कि यह बात उसने पिता को चार महीने बाद बताई. तब तक पीड़िता चार महीने की गर्भवती हो चुकी थी. उसने बताया कि उसके पेट में पल रहा बच्चा अनिल तिवारी का है. बतौर गवाह पेश हुई बेटी सुनवाई के दौरान पीड़िता न्याय के लिए अपनी बेटी को भी गवाह के तौर पर कोर्ट में लेकर पहुंची. जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पाया कि अनिल तिवारी दोषी है. कोर्ट ने अनिल तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 30 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया. कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि गवाहों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित न होना और विवेचना में देरी की वजह से पीड़िता को मानिसक आघात पहुंचा. इसलिए दोषी को राहत नहीं दी जा सकती. Tags: Sitapur news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 11:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed