लोन ऐप्स केस की जांच में एक जैसे तथ्य दिल्ली और बेंगलुरू से जुड़ रही कड़ियांं
लोन ऐप्स केस की जांच में एक जैसे तथ्य दिल्ली और बेंगलुरू से जुड़ रही कड़ियांं
लोन देकर लूटने वाले ऐप्स की जांच में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (Serious Fraud Investigation Office) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की अलग-अलग जांचों के बीच कुछ कड़ियांं जुड़ती नजर आई हैं. इस मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद से कई खुलासे हो रहे हैं.
हाइलाइट्सलोन ऐप्स के जरिए लूट करने वाली कंपनियों की जांच ईडी की जांच में कई तथ्य सामने आए, हो रही पड़ताल पहली गिरफ्तारी के बाद जुड़ रही कड़ियां
नई दिल्ली. लोन देकर लूटने वाले ऐप्स की जांच में सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (Serious Fraud Investigation Office) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की अलग-अलग जांचों के बीच कुछ कड़ियांं जुड़ती नजर आई हैं. कम से कम तीन कंपनियां जांच के दायरे में हैं, जो बेंगलुरू में ‘ब्रिकस्पेस’ में रजिस्टर्ड हैं. ये कंपनियां दिल्ली के फेसिलिटेटर के जरिए बेंगलुरू में को-वर्किंग स्पेस ब्रिकस्पेस से जुड़ पाईं थी. सूत्र बताते हैं कि लोन देने वाले ऐप्स के नाम पर लूट करने वाली कंपनियां कथित तौर पर मनी लॉन्डिरिंग से जुड़ी हुई थीं. इस मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद से कई खुलासे हो रहे हैं.
सूत्र बताते हैं कि जांच से पता चला है कि कम से कम तीन कंपनियां, ब्रिकस्पेस नामक को-वर्किंग स्पेस के पते पर पंजीकृत हैं, जिन्होंने अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को अपने स्थान पर पंजीकृत कुछ कंपनी के पते को हटाने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि बेईमान संस्थाओं ने को-वर्किंग स्पेस का दुरुपयोग किया है. जांच एजेंसियों द्वारा आपराधिक जांच शुरू करने के बाद पत्र भेजा गया था. ब्रिकस्पेस ने यह भी आरोप लगाया है कि कुछ संस्थाओं ने सिर्फ एक साल के अनुबंध के आधार पर पते का उपयोग करके खुद को पंजीकृत किया है.
पहली गिरफ्तारी के बाद से जुड़ रही हैं कड़ियांं
जानकारी के अनुसार इसकी शुरुआत डॉर्टसे नाम के एक व्यक्ति से होती है, जिसे पिछले सप्ताह चीनी शैल कंपनियों पर कार्रवाई के तहत एसएफआईओ ने गिरफ्तार किया था. डॉर्टसे पर गुरुग्राम पुलिस ने आईटी अधिनियम की धारा 66डी के तहत भी मामला दर्ज किया है, जो किसी भी संचार उपकरण या कंप्यूटर संसाधन के माध्यम से धोखाधड़ी से संबंधित है. गुरुग्राम पुलिस का यह केस कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित है. इसमें कहा गया है कि डॉर्टसे केवल एक नाम का उपयोग करता है और हिमाचल प्रदेश का रहने वाला है. इसकी दूसरी कड़ी है डोर्ट्स का सह-आरोपी, वान जून नाम का एक चीनी नागरिक जो फिलहाल फरार है. वान जून दो कंपनियों का निदेशक है – जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिसे उन्होंने डॉर्टसे के साथ शुरू किया था, और एक अन्य का नाम फिनिटी प्राइवेट लिमिटेड था.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Apps, Enforcement directorateFIRST PUBLISHED : September 12, 2022, 17:03 IST