सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: शाहजहांपुर की रहने वाली रचना मोहन महिलाओं को प्रेरणा दे रही हैं. उन्होंने किस्मत पर भरोसा न करते हुए अपने दम पर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश किया है. पति की मौत के बाद रचना मोहन ने खुद पैरों पर खड़ा होने का फैसला लिया. आज वह पेपर बैग बनाने का काम कर रही हैं. खुद परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर रही हैं. साथ ही 2 दर्जनों लोगों को वो रोजगार भी दे रही हैं.
महिला की आत्मनिर्भर बनने की कहानी
शाहजहांपुर के मोहल्ला कृष्णा नगर की रहने वाली रचना मोहन के पति की बीमारी के कारण वर्ष 2018 में मौत हो गई. पति की मौत के बाद रचना मोहन के सामने रोजी-रोटी का संकट आन खड़ा हुआ. इसके बाद रचना मोहन ने अपने पैरों पर खड़ा होने का फैसला लिया. रचना मोहन ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपए का लोन लिया.
पेपर बैग बनाने की लगाई यूनिट
रचना मोहन ने लोन से मिले हुए पैसे से 14.5 लाख रुपए की पेपर बैग बनाने वाली मशीन खरीदी और मशीन को अपने घर की छत पर लगा दिया. शेष बचे हुए पैसों से कच्चा मैटेरियल खरीदा और पेपर बैग बनाना शुरू कर दिया. रचना मोहन ने अपने यहां तैयार किए हुए पेपर बैग को शाहजहांपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों में बेचना शुरू कर दिया है.
कई परिवारों को दिया रोजगार
रचना मोहन का कहना है कि वर्ष 2022 में उन्होंने पेपर बैग बनाने का जो कारोबार शुरू किया था. उसका अब 8 से 10 लाख रुपए महीने का टर्नओवर हो जाता है. जिसमें करीब उन्हें 10% मुनाफा भी मिल जाता है. रचना मोहन का कहना है कि पेपर बैग के इस काम से उनका परिवार का भरण पोषण तो ही रहा है.
महिलाओं को भी बना रही आत्मनिर्भर
रचना मोहन समर्पण सेवा संस्था भी चलाती हैं, जिसमें उनके साथ शहर की करीब 25 से 30 महिलाएं काम करती हैं. यह संस्था बेटियों की शिक्षा और उनको स्वावलंबी बनाने का काम करती है. इस संस्था द्वारा महिलाओं और बेटियों को समय-समय पर रोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिलाए जाते हैं. इसके अलावा रोजगार करने के लिए भी यह संस्था महिलाओं को मदद करती है.
Tags: Inspiring story, MSME Sector, UP newsFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 12:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed