मछली पालन करने वाले किसान तालाब के किनारे लगाएं ये पौधेदोगुना हो जाएगा मुनाफा

मछली पालकों द्वारा नई तकनीक के जरिये अपने तालाबों के चारों तरफ जामुन, पपीता, शहतूत सहजन, केला आदि पेड़ लगाये जाते हैं. इन पेड़ों के जो पत्ते होते हैं वो मुलायम होने के साथ पानी में जल्दी गल जाते हैं, जिससे मछलियो को काफी फायदा होता है.

मछली पालन करने वाले किसान तालाब के किनारे लगाएं ये पौधेदोगुना हो जाएगा मुनाफा
संजय यादव/ बाराबंकी: परंपरागत खेती करने में समय के साथ लागत भी अधिक लगती है. जिसकी वजह से किसान उसे छोड़कर अब नई तकनीक से मछली पालन कर रहे हैं. इससे अधिक लाभ हो रहा है. वहीं  आप भी मत्स्य पालन करना चाहते हैं, तो अपने तालाबों के किनारे कई तरह के पेड़ लगाने होंगे. इससे मछलियों को खाना के साथ कई सुविधाएं मिलेंगी. जिससे मछलियों की ग्रोथ भी अच्छी  होगा और किसानों को अच्छा मुनाफा भी होगा. दरअसल मछली पालकों द्वारा नई तकनीक के जरिये अपने तालाबों के चारों तरफ जामुन, पपीता, शहतूत सहजन, केला आदि पेड़ लगाये जाते हैं. इन पेड़ों के जो पत्ते होते हैं वो मुलायम होने के साथ पानी में जल्दी गल जाते हैं, जिससे मछलियो को काफी फायदा होता है. वहीं बाराबंकी जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गनेश प्रसाद ने बताया मत्स्य पालन करने वाले किसान अगर अपने तालाबों के किनारे जामुन, पपीता, शहतूत, केला, सहजन के पेड़ लगाते हैं, इससे मछलियों को भरपूर मात्रा में भोजन के साथ कई फायदे होते हैं और इन पेड़ो से तालाबों के बंधे मजबूत होते हैं. जिससे  बारिश के समय बंधे कटने का डर नहीं रहता. वहीं कुछ मछलियां ऐसी होती हैं, जो हरा भोजन ही खाती हैं तो इन पेड़ों से उन्हें भरपूर मात्रा में हरा भोजन मिलेगा. साथ ही जो पत्तियां सड़ गल जाती हैं उससे पलक्टन तैयार होता है. जिससे अन्य मछलियों के लिए भोजन तैयार होता है. जिसको मछलियां आहार के रूप में इस्तेमाल करती हैं. इससे हमारी मछलियां कम समय में अच्छी ग्रोथ करती हैं. जिससे किसान को दोगुना लाभ होगा.  यही नहीं इन पेड़ों से तालाबों पर छाया हो जाती है जिससे मछलियों को गर्मियों का सामना नहीं करना पड़ता है और  पानी ठंडा रहता है इससे मछलियों को दिक्कतें नहीं होती. कभी-कभी पानी कम होने से ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिससे मछलियां मरने लगती हैं. लेकिन अगर पेड़ की छाया रहती है, तो ऐसी कोई समस्या नहीं होती और हरे चारे के लिए पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं. केला, शहतूत, पपीता इसकी पत्तियां काटकर तालाबों में डाली जा सकती है. अगर अचानक तालाब में मछलियां मरने लगे या तालाब में जहर पड़ा है, तो केले के डंठल को काटकर तालाब में डालने से जहर की मात्रा कम हो जाती है. जिससे मछलियों की मरने की संभावना कम हो जाती है. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 10:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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