कंधे पर बस्ता स्कूल ड्रेस पहने ये बच्चे क्लास नहीं जातेखेती करने को मजबूर!
कंधे पर बस्ता स्कूल ड्रेस पहने ये बच्चे क्लास नहीं जातेखेती करने को मजबूर!
Students in Farms: डंगार्चुक प्राइमरी स्कूल ने छात्रों को खेतों में ले जाकर चावल की खेती, रूबर्ब खाने और नारियल खोदने जैसे काम सिखाए. यह पहल बच्चों को परंपराओं, कृषि और आत्मनिर्भरता से जोड़ने के लिए प्रेरित है.
डिब्रूगढ़ जिले के चबुआ के डंगार्चुक प्राइमरी स्कूल ने शिक्षा के साथ बच्चों को जीवन-उन्मुख ज्ञान देने का अनूठा प्रयास किया. स्कूल के छात्रों को खेतों में ले जाकर चावल के बीज काटने और पारंपरिक कृषि गतिविधियों से परिचित कराया गया. छोटे-छोटे किसान रूपी बच्चों ने, हाथों में कैंची और बिरिया लिए, चावल के खेतों में काम करते हुए सीखने का एक नया अनुभव हासिल किया.
खेतों में काम और ग्रामीण जीवन का आनंद
शिक्षकों ने इस अनोखी पहल के तहत बच्चों के लिए खेतों में काम करने की व्यवस्था की, जिसमें उन्होंने चावल निकालने और बीजों को साफ करने का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया. साथ ही, बच्चों को अघून के खेतों में जाकर रूबर्ब खाने और नारियल खोदने का मौका भी दिया गया. यह पहल बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूलभूत कौशल सिखाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम था.
पारंपरिक खेती के गुर सिखाने की कोशिश
इस अनुभव में बच्चों ने न केवल चावल की खेती के गुर सीखे, बल्कि पारंपरिक खेती की प्रक्रिया को करीब से देखा और समझा. शिक्षकों ने छात्रों को दाई के पारंपरिक गीतों के साथ चावल काटने की खुशी महसूस करवाई. यह पहल छात्रों के दिलों में किसानों और खेती के प्रति सम्मान और लगाव बढ़ाने का प्रयास था.
आत्मविश्वास बढ़ाने का जरिया
खेतों में बिताया गया समय बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उनकी कौशल क्षमता को निखारने में मददगार साबित हुआ. शहर की भीड़भाड़ और तनावपूर्ण माहौल से दूर, इस अनुभव ने बच्चों को प्रकृति के करीब आने का मौका दिया. इससे न केवल उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ, बल्कि वे अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी समझ सके.
भविष्य की पीढ़ी को परंपराओं से जोड़ने की जिम्मेदारी
शिक्षकों ने कहा कि “जब हम अघून के बारे में सोचते हैं, तो खेतों में काम करने का एक प्राकृतिक दृश्य सामने आता है.” बच्चों को यह सिखाना कि कैसे खेती की प्रक्रिया उनकी संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा है, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम इन परंपराओं और ग्रामीण जीवन के आकर्षण को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं, ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़ सकें
Tags: Agriculture, Assam, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 16:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed