EWS आरक्षण की संवैधानिकता पर SC की मुहर जानें 5 जजों में से किसने क्या कहा
EWS आरक्षण की संवैधानिकता पर SC की मुहर जानें 5 जजों में से किसने क्या कहा
आपको बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षणके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया था. इस संशोधन को असंवैधानिक करार देने की मांग करने वाली 40 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं. सर्वोच्च अदालद ने इन याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
नई दिल्ली: सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से EWS कोटा को बरकरार रखा. इस मामले में चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने फैसला सुनाया. जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस पारदीवाला ने EWS आरक्षण का समर्थन किया है, जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट इसके खिलाफ रहे.
आपको बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षणके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया था. इस संशोधन को असंवैधानिक करार देने की मांग करने वाली 40 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं. सर्वोच्च अदालद ने इन याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पांच जजों की पीठ ने 7 नवंबर, 2022 को बारी-बारी से मामले में अपना फैसला पढ़ा. पहले 3 जजों ने EWS कोटा को संवैधानिक माना, जिससे 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर मुहर लग गई, बाद के 2 जजों ने इसे असंवैधानिक बताया. आइए जानते हैं मामले में किस जज ने क्या कहा…?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को क्या तय करना था?
1. क्या 103वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कहा जा सकता है?
2. क्या निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश के लिए EWS कोटा देने की अनुमति देने संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन है?
3. एससी, एसटी, ओबीसी को दिए जाने वाले कोटे से EWS कोटे को बाहर रखना क्या संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
जानिए 5 जजों में से किसने क्या कहा?
जस्टिस दिनेश माहेश्वरीः आरक्षण न सिर्फ आर्थिक और सामाजिक वर्ग से पिछड़े लोगों को बल्कि वंचित वर्ग को भी समाज में शामिल करने में अहम भूमिका निभाता है. इसलिए EWS कोटा संविधान के मूल ढांचे को न तो नुकसान पहुंचाता है और न ही मौजूदा आरक्षण संविधान के कानूनों का उल्लंघन करता है. यह समानता संहिता का भी उल्लंघन नहीं करता है.
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदीः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी एक अलग वर्ग मानना सही होगा. इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता. आजादी के 75 साल बाद हमें समाज के हितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था पर फिर से विचार करने की जरूरत है. संसद में एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण खत्म हो गया है. इसी तरह समय सीमा होना चाहिए. मैं 103वें संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखती हूं.
जस्टिस जेबी पारदीवालाः डॉ. अंबेडकर का विचार था कि आरक्षण की व्यवस्था 10 साल रहे, लेकिन यह अब तक जारी है. आरक्षण को निहित स्वार्थ नहीं बनने देना चाहिए. संविधान के 103वें संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए मैंने सोचा कि आरक्षण का पालन करना सामाजिक न्याय को सुरक्षित रखना है. लेकिन यह व्यवस्था अनवरत नहीं जारी रहनी चाहिए.
चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवींद्र भटः एससी, एसटी और ओबीसी के गरीब लोगों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण से बाहर करना भेदभावपूर्ण है. हमारा संविधान बहिष्कार की अनुमति नहीं देता है और 103वां संविधान संशोधन सामाजिक न्याय के ताने-बाने को कमजोर करता है. इस तरह यह संविधान के बुनियादी ढांचे को कमजोर करता है. इसलिए हम EWS कोटा के लिए 103वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक मानते हैं.
आर्थिक रूप से कमजोर किसे माना जाएगा?
कानूनन, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वह 50 फीसदी सीमा के भीतर ही मिलता है. लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फीसदी कोटा, इस 50 फीसदी सीमा के बाहर है. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था उच्च शिक्षा और रोजगार में समान अवसर देकर ‘सामाजिक समानता’ को बढ़ावा देने का प्रयास है. यह आरक्षण सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को ही मिलता है. जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर माना जाता है और नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में दाखिले में 10 फीसदी आरक्षण मिलता है.
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Tags: Reservation, Reservation news, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 14:07 IST