जब बीच बहस बेंच ने कहा केजरीवाल 9 समन के बाद भी पेश नहीं हुए लेकिन

Arvind Kejriwal Bail Highlights : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी. बेंच ने यह भी कहा कि ईडी ने यह बात सही कही है कि केजरीवाल उसके नौ समन के बावजूद पेश नहीं हुए. यह नकारात्मक पहलू है लेकिन कई अन्य तथ्य हैं जिन पर हमें विचार करना होगा.

जब बीच बहस बेंच ने कहा केजरीवाल 9 समन के बाद भी पेश नहीं हुए लेकिन
नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव के बीच में प्रचार के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी. हालांकि कोर्ट ने उनके कार्यालय या दिल्ली सचिवालय जाने और तब तक सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी जब तक उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए ऐसा पूरी तरह जरूरी नहीं हो. कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में 50 दिन की हिरासत के बाद लोकसभा चुनाव के बाकी के चरण के लिए प्रचार के लिहाज से केजरीवाल को 21 दिन के लिए रिहा करते हुए न्यायालय ने कहा कि वह दो जून को आत्मसमर्पण करेंगे. एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण के तहत मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी. अगले और चौथे चरण का मतदान 13 मई को होगा. बेंच ने केजरीवाल को 50,000 रुपये के जमानती बॉन्ड और इतनी ही राशि का मुचलका जमा कराने का भी निर्देश दिया. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईडी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर केजरीवाल को छोड़ने जैसा पहले कोई मामला नहीं देखा गया. अदालत ने उनकी इस दलील से भी सहमति नहीं जताई कि चुनाव प्रचार के लिए आप के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना ‘इस देश के आम नागरिकों की तुलना में राजनेताओं को लाभकारी स्थिति में प्रमुखता से रखने’ जैसा होगा. बेंच ने कहा, ‘अंतरिम जमानत/रिहाई देने के सवाल की जांच करते समय, अदालतें हमेशा संबंधित व्यक्ति से जुड़ी विशिष्टताओं और आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखती हैं. वास्तव में, इसे नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण और गलत होगा.’ उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है. बेंच ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन केजरीवाल को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह ‘समाज के लिए खतरा नहीं हैं.’ इसमें कहा गया है कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी गिरफ्तारी की वैधता को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने अभी तक इस पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है. बेंच ने कहा, ‘तथ्यात्मक स्थिति की तुलना फसलों की कटाई या कारोबारी कामकाज देखले की दलील से नहीं की जा सकती. इस पृष्ठभूमि में, जब मामला अदालत में विचाराधीन है और गिरफ्तारी की वैधता से संबंधित प्रश्न विचाराधीन हैं, तो 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव होने की पृष्ठभूमि में अधिक समग्र और उदारवादी दृष्टिकोण उचित है.’ बेंच ने आगे कहा कि केजरीवाल का मामला असामान्य नहीं है. उसने कहा कि अंतरिम जमानत देने की शक्ति का प्रयोग आमतौर पर कई मामलों में किया जाता है और प्रत्येक मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत दी जाती है. बेंच ने कहा, ‘उपरोक्त कारणों से, हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता अरविंद केजरीवाल को मामले के संबंध में अंतरिम जमानत पर 1 जून, 2024 तक रिहा किया जाएगा, यानी वह 2 जून, 2024 को निम्नलिखित नियमों और शर्तों पर आत्मसमर्पण करेंगे.’ पीठ ने कहा, ‘वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय का दौरा नहीं करेंगे.’ अदालत ने कहा कि केजरीवाल मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी गवाह से बात नहीं करेंगे या मामले से संबंधित किसी फाइल को नहीं देखेंगे. लोकसभा चुनाव के महत्व को रेखांकित करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘लगभग 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता अगले पांच वर्षों के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे. आम चुनाव लोकतंत्र को जीवंतता प्रदान करते हैं.’ बेंच ने यह भी कहा कि ईडी ने यह बात सही कही है कि केजरीवाल उसके नौ नोटिस/ समन के बावजूद पेश नहीं हुए जिसमें से पहला अक्टूबर 2023 में जारी किया गया था. उसने कहा, ‘यह नकारात्मक पहलू है, लेकिन कई अन्य तथ्य हैं जिन पर हमें विचार करना होगा.’ Tags: Arvind kejriwal, Enforcement directorate, Supreme Court, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 06:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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