13 सालों से न पराली जलाई न ही फसल की पैदावार कम हुई किसान ये क्या बोले
13 सालों से न पराली जलाई न ही फसल की पैदावार कम हुई किसान ये क्या बोले
Stubble Burning: संगरूर के किसान प्रदीप सिंह 13 वर्षों से पराली नहीं जलाकर पर्यावरण-संरक्षण में योगदान दे रहे हैं. वे पराली को खाद में बदलकर नई फसल की बुआई करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और प्रदूषण भी कम होता है.
प्रदीप सिंह के अनुसार, पराली जलाने से ज़मीन की उपजाऊ शक्ति प्रभावित होती है. पराली जलाने से न केवल हवा प्रदूषित होती है, बल्कि मिट्टी में मौजूद आवश्यक जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं, जो भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में मददगार होते हैं. उन्होंने समझाया कि पराली को जलाने के बजाय खेतों में ही खाद के रूप में बदलना, मृदा को लाभ पहुँचाता है, जिससे अगली फसल अधिक उपजाऊ होती है.
कृषि तकनीकों का प्रयोग कर पराली प्रबंधन
प्रदीप सिंह ने पराली को खेत में ही खाद के रूप में बदलने के लिए नई तकनीकों का सहारा लिया है. वे बताते हैं कि धान की कटाई के बाद पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर खेत में फैला दिया जाता है, जो समय के साथ खाद बन जाती है. इस प्रक्रिया से न केवल प्रदूषण कम होता है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
पराली प्रबंधन के अन्य फायदे
पराली को खाद में बदलने से न केवल भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है, बल्कि यह फसल की पैदावार बढ़ाने में भी सहायक है. इससे अगली फसल के लिए कम उर्वरक की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों का खर्च भी कम होता है. साथ ही, पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का स्तर भी नियंत्रित रहता है. प्रदीप सिंह का मानना है कि यदि अन्य किसान भी इसी विधि का प्रयोग करें, तो पंजाब के वातावरण में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं.
किसानों के लिए संदेश
प्रदीप सिंह ने अन्य किसानों को पराली प्रबंधन की विधि अपनाने का सुझाव दिया है. उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे पराली जलाने से बचें और इसे खेतों में सड़ाकर खाद में बदलें. उनका कहना है कि यह तरीका पर्यावरण संरक्षण में मददगार है और इसके दीर्घकालिक फायदे हैं. प्रदीप ने बताया कि जब हर किसान इस विधि को अपनाएगा, तब समूचे राज्य में वायु प्रदूषण कम होगा, मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
सरकार और कृषि विभाग की भूमिका
प्रदीप सिंह का मानना है कि सरकार और कृषि विभाग को किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक करना चाहिए. कृषि विभाग के अधिकारी भी प्रदीप सिंह के कार्यों की सराहना करते हैं और अन्य किसानों को उनके उदाहरण से प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार को इस तरह के किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए योजनाएँ चलानी चाहिए ताकि किसान स्वेच्छा से पराली जलाने से बच सकें और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकें.
Tags: Local18, Punjab, Special Project, Stubble BurningFIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 17:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed