हल चलाते समय जमीन से आई तेज आवाज बहने लगा खून व दूध की धारा! मंजर देख उल्टे

Shree Mankameshwar Mahadev Mandir Deoband: बताया जाता है कि किसान अपने खेत में जुताई कर रहा था. उस दौरान उसका हल एक पत्थर से टकराया और खून व दूध की धारा बहने लगी. किसान घबराकर उस पत्थर पर मिट्टी डालकर अपने घर चला गया. अगले दिन जब वह पुन: खेत पर पहुंचा, तो उसने देखा कि पत्थर मिट्टी हटाकर ऊपर की तरफ आ गया. जब उसने पत्थर के इर्द-गिर्द से मिट्टी हटानी शुरू की, तो पत्थर पुन: जमीन में समाने लगा. इसके बाद उस किसान ने अपनी जमीन मंदिर के लिए छोड़ दी. तब से यह मंदिर सिद्धपीठ होने के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है.

हल चलाते समय जमीन से आई तेज आवाज बहने लगा खून व दूध की धारा! मंजर देख उल्टे
सहारनपुर /अंकुर सैनी: सहारनपुर के देवबंद में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. यहां एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू मंदिर को स्थापित किया है. ये मंदिर महादेव का है, जहां दर्शन के लिए बड़ी दूर-दूर से लोग आते हैं. मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. आइए इस मंदिर के बारे में हर एक बात जानते हैं. देवबंद से करीब चार किलोमीटर दूर मानकी गांव में श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर (Shree Mankameshwar Mahadev Mandir) स्थित है. ये मंदिर अपने अंदर विभिन्न प्रकार की चमत्कारिक घटनाओं को समेटे हुए है. मंदिर के स्थापित वाली भूमि गाड़ा बिरादरी के एक मुस्लिम परिवार की है. बताया जाता है कि किसान अपने खेत में जुताई कर रहा था. उस दौरान उसका हल एक पत्थर से टकराया और खून व दूध की धारा बहने लगी. किसान घबराकर उस पत्थर पर मिट्टी डालकर अपने घर चला गया. अगले दिन जब वह पुन: खेत पर पहुंचा, तो उसने देखा कि पत्थर मिट्टी हटाकर ऊपर की तरफ आ गया. जब उसने पत्थर के इर्द-गिर्द से मिट्टी हटानी शुरू की, तो पत्थर पुन: जमीन में समाने लगा. इसके बाद उस किसान ने अपनी जमीन मंदिर के लिए छोड़ दी. तब से यह मंदिर सिद्धपीठ होने के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है. पुजारी ने बताया क्यों है मंदिर चमत्कारी? सिद्धपीठ के महंत ने बताया कि भगवान शिव ने मंथन के दौरान मानकी गांव में आसन लगाने के उपरांत नीलकंठ महादेव मंदिर पर आसन लगाया था. धरा पवित्र से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार, आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए 36 वर्ष पूर्व गांव के प्रधान अल्लादिया ने मंदिर को और तीन बीघा भूमि जमीन दान दी थी. इतना ही नहीं, सिद्धपीठ पर प्रतिवर्ष श्रावण की चतुर्दशी तिथि को विशाल मेला आयोजित किया जाता है. यह भी पढ़ें- आखिर इस पेड़ का नाम क्यों पड़ा खूनी पीपल? कई लोगों की गई थी जान, जानिए वो डरावना किस्सा Tags: Ajab Gajab, Ajab Gajab news, Local18, OMG News, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 10:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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