यहां पिंडी रूप में विराजमान हैं भोले शिव संतान प्राप्ति की मनोकामना होती पूरी

Shri Bankhandi Mahadev Mandir: श्री बनखंडी महादेव मंदिर के पंडित अनिल कौशिक बताते हैं कि पांडवों के अज्ञातवास के समय सहदेव ने इस जंगल में रुककर भगवान शिव की आराधना की थी और वरदान में शिवलिंग की स्थापना की थी. समय के साथ घने जंगल के कारण यह शिवलिंग विलुप्त हो गया था.

यहां पिंडी रूप में विराजमान हैं भोले शिव संतान प्राप्ति की मनोकामना होती पूरी
सहारनपुर / अंकुर सैनी: सहारनपुर जनपद मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा सरसावा का महाभारत कालीन सिद्धपीठ श्री बनखंडी महादेव मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों की गहरी आस्था का केंद्र है. उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं. भगवान शिव इस मंदिर में पिंडी रूप में विराजमान हैं. माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना पांडवों के वनवास के दौरान सहदेव ने की थी, जब यहां घना जंगल हुआ करता था. दूर-दराज से लोग संतान प्राप्ति की मन्नत मांगने यहां आते हैं, और उनकी इच्छाएं पूरी भी होती हैं. पहले सरसावा को सिरस वन के नाम से जाना जाता था, जो बाद में सिरसा पट्टन और फिर सरसावा हो गया. श्री बनखंडी महादेव मंदिर में हर साल श्रावण मास की शिवरात्रि और फाल्गुन मास की शिव चौदस पर हजारों श्रद्धालु हरिद्वार से लाए गए गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. पंडित अनिल कौशिक बताते हैं कि पांडवों के अज्ञातवास के समय सहदेव ने इस जंगल में रुककर भगवान शिव की आराधना की थी और वरदान में शिवलिंग की स्थापना की थी. समय के साथ घने जंगल के कारण यह शिवलिंग विलुप्त हो गया था. संतान प्राप्ति के लिए शिवलिंग की खोज पंडिता कौशिक ने आगे बताते हुए कहा कि करीब ढाई सौ साल पहले एक महिला संतान न होने की वजह से बहुत परेशान थी. इस दौरान उन्हें एक साधु मिले और उन्होंने महिला को जंगल में जाकर शिवलिंग की आराधना करने की सलाह दी, जिससे उसे संतान प्राप्ति होगी. झाड़ियों के बीच मिला शिवलिंग कहानी को आगे बढ़ाते हुए पंडित कौशिक ने बताया कि महिला ने कई दिनों तक शिवलिंग की खोज की और अंततः झाड़ियों के बीच शिवलिंग मिला. उसकी आराधना के एक साल बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इस चमत्कार से प्रभावित होकर लोगों ने वहां मंदिर बनाने का संकल्प लिया, लेकिन अन्य समुदायों ने इसका विरोध किया क्योंकि शिवलिंग एक कब्र के पास स्थित था. चार साल पहले इस विवाद के निपटारे के बाद, भगवान भोलेनाथ का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है. इसके पहले, भगवान शिव खुले आसमान के नीचे थे और तिरपाल से धूप-बारिश से बचाया जाता था. हर साल मंदिर पर दो विशाल मेले भी आयोजित किए जाते हैं. Tags: Dharma Culture, Hindi news, Local18, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 13:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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