कामकाजी हैं या नहीं मंथली बजट बनाना जरूरी क्या शामिल करें क्या छोड़ें फायद

Need of monthly budget, dos and donts: आप चाहे कामकाजी महिला हों या फिर घर संभालती हों, शादीशुदा हों या फिर सिंगल महिला हों, आप जितनी जल्दी जिन्दगी में मासिक बजट बनाना शुरू कर देंगी और आदत में डाल लेंगी, उतना आप अपने वित्तीय पहलुओं को कंट्रोल और कमांड में रख पाएंगी. आइए समझें मंथली बजट की जरूरत और इसके फायदे...

कामकाजी हैं या नहीं मंथली बजट बनाना जरूरी क्या शामिल करें क्या छोड़ें फायद
Why you should make a monthly budget, emergency fund before investing: वे महिलाएं जो निवेश के सफर पर चलना चाहती हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि इन्वेस्टमेंट से पहले बेहतर है सेविंग और सेविंग से पहले बेहतर है मंथली बजट का निर्माण. जब आप अपनी आय, सभी प्रकार की, और खर्चों, सभी प्रकार के, का ब्यौरा रखती हैं, तब आप एक प्रकार से अपने फाइनेंस पर नियंत्रण स्थापित कर रही होती हैं. जब भी आप मंथली बजट बनाएं इसे फ्लैक्सिबल रखें ताकि जरूरत के मुताबिक इसमें फेर बदल कर सकें. जरूरी बदलाव की गुंजाइश इसमें हो. बजटिंग, इमर्जेंसी फंड और निवेश के रास्ते पर चलते हुए पांच कदम ऐसे उठाएं: 1- जब आप अपना मंथली बजट बनाएं तब इसमें अपनी कुल लागतों को शामिल करें. सभी प्रकार के बिल, ईएमआई होम लोन की या ऑटो लोन की या फिर कोई और, आवाजाही में खर्च होने वाला ट्रैवल एक्सपेंस, बिल सभी प्रकार के, किचन- किराने- लॉन्ड्री आदि का सामान… जैसे खर्चे जरूर शामिल करें. एक बार बजट बनाकर उससे स्टिक करें लेकिन साथ ही इस बजट की समीक्षा भी करती रहें. अपने खर्चों को वर्गों में बांटकर रखें जैसे कि अनिवार्य, साप्ताहिक, त्रैमासिक आदि. महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं. 2- कूपन, कैशबैक, सेल आदि जैसे समय समय पर मिलने वाले लाभों को इग्नोर न करें. इनका फायदा लें और प्लानिंग में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करें. ग्रॉसरी और घर के सामानों पर अक्सर छूट, कैशबैक आदि मिलते हैं. यह खासतौर से बल्क में सामान खऱीदने पर मिलते हैं. साप्ताहिक, मासिक स्टोरेज प्रेफर करें जितना संभव हो. कई ऑनालाइन स्टोर और ऑफलाइन स्टोर लॉयल्टी प्रोग्राम चलाते हैं. इनमें शामिल होकर समय समय पर मिलने वाले नफे हासिल करें. 3- बजट बनाना कागज पर खर्चों को लिखते जाना नहीं है. यह देखना भी है कि कहां कटौती हो सकती है और कहां पैसे का इन्फ्लो बढ़ाने की जरूरत है. बेमतलब एसी, कूलर, टीवी चलाकर न छोड़ें. ऐसी डिवाइसेस का इस्तेमाल करें जो आपके इलेक्ट्रानिक अप्लायेंस की गैर जरूरी खपत को ट्रैक कर सकती हों और/या इसमें कटौती कर सकती हों. आप खुद महसूस करेंगी कि यूटिलिटी बिलों पर होने वाले खर्चों को कम करके आप पैसा बचा पा रही हैं. 4- बजटिंग के बाद नहीं, बल्कि बजटिंग के साथ ही सेविंग शुरू हो जाती है- यह आप महसूस करेंगी. सेविंग करने चलें तो सबसे पहले इमर्जेंसी फंड का निर्माण करें. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें. इस फंड के साथ ही डेट मैनेजमेंट यानी लिए गए कर्जों को ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी चुका कर निपटाने की प्राथमिकता दे सकती हैं. यह भी पढ़ें- घर में रहना है तो ही लें, वरना निवेश के लिए न खरीदें! एक्सपर्ट ने बताया वो गणित जो अब तक नहीं पता होगा आपको 5- बजट, सेविंग के नियमित और अनुशासित अनुपालन के बाद बारी आती है निवेश की. वैसे निवेश संबंधी निर्णय लेने के लिए किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लें. यह सेबी रजिस्टर्ड हो और क्वालिफाइड सलाहकार हो, इस बाबत पूरी रिसर्च कर लें. अपनी ओर से आप सेविंग खातों में पैसा रखने की बजाय पीपीएफ, इंश्योरेंस, सेविंग स्कीम्स जैसे कि एनएससी, एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करें. इस बारे में आप यहां क्लिक करके आपके ज्यादा जानकारी ले सकती हैं. . Tags: Budget, Business news in hindi, Investment tips, Mutual fund, Saving, Tax saving options, Women's FinanceFIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 14:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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