धनिया-मिर्च बेचने वाले ने बनाई 27000 करोड़ की कंपनी घर तक बेचना पड़ा
धनिया-मिर्च बेचने वाले ने बनाई 27000 करोड़ की कंपनी घर तक बेचना पड़ा
Malabar Gold Success Story : सफलता रातोंरात नहीं मिलती लेकिन मेहनत सही दिशा में हो तो खाली हाथ भी नहीं रखती. यह कहावत मालाबार गोल्ड एंड डायमंड कंपनी के फाउंडर एमपी अहमद पर पूरी तरह फिट बैठती है.
हाइलाइट्स मालाबार कंपनी का मार्केट कैप भी 27 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है. मालाबार के फाउंडर पहले मसालों का बिजनेस करते थे, जल्द बंद हो गया. उन्होंने साल 1993 में कोझिकोड में अपना पहला स्टोर शुरू किया था.
नई दिल्ली. कहते हैं सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन मेहनत सही दिशा में हो तो एक दिन जरूर मिलती है. सफलता की यह कहानी भी ऐसे ही एक जुझारू कारोबारी की है. कभी धनिया-मिर्च बेचने वाला यह छोटा दुकानदार आज सोने-चांदी का बड़ा व्यापारी बन गया है. उनकी कंपनी का मार्केट कैप भी 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गया है. आज उनका धंधा सिर्फ अमीरों के लिए होता है और उनके देशभर में सैकड़ों शोरूम खुल चुके हैं.
दरअलस, हम बात कर रहे हैं मालाबार गोल्ड एंड डायमंड (Malabar Gold & Diamonds) के फाउंडर एमपी अहमद की. एमपी अहमद वैसे तो बिजनेस फैमिली से आते है, लेकिन परिवार का बिजनेस मसालों से जुड़ा था. उन्होंने भी शुरुआती कुछ साल तक धनिया, मिर्च जैसे मसाले ही बेचे लेकिन यह काम जमा नहीं और छोड़कर कुछ नया करने की ठान ली. इसके साथ उन्होंने सोने के आभूषण बेचने शुरू किए और आज उनकी कंपनी की वैल्यू 27,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. लेकिन, यह सफलता इतनी आसान नहीं रही जितनी आज उन्हें देखकर लगती है.
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कहां से शुरू हुआ सफर
एमपी अहमद के परिवार में छोटे-मोटे कारोबार बहुत पहले से चल रहे थे. शुरुआत में तो अहमद को भी इसी बिजनेस से जुड़ना पड़ा. उन्होंने 20 साल की उम्र में परिवार से हटके बिजनेस करने का फैसला किया और 1978 में मसालों का बिजनेस शुरू कर दिया. अहमद ने शुरुआत में नारियल, धनिया और काली मिर्च का बिजनेस किया, लेकिन जल्द ही पता गया कि यह सफल नहीं है और दोबारा बाजार का रिसर्च करने में जुट गए.
शहर के नाम पर शुरू किया बिजनेस
अहमद ने अपने रिसर्च में पाया कि उनके शहर मालाबार में गोल्ड को लेकर लोगों का काफी रुझान रहता है. चाहे निवेश की बात हो या उत्सव की, हर मौके पर लोग गोल्ड के सामान खरीदना पसंद करते हैं. उन्होंने तय कर लिया कि अब तो ज्वैलरी कंपनी ही शुरू करेंगे. उनका जोर प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर था और शहर के नाम पर मालाबार गोल्ड एंड डायमंड के नाम से ज्वैलरी कारोबार शुरू करने का मन बना लिया.
सपनों के लिए बेच दिया घर
सारा रोडमैप तैयार हो चुका था और परिवार के लोगों ने भी हरी झंडी दे दी, लेकिन समस्या पैसों को लेकर थी. कहीं से जुगाड़ नहीं बना तो अहमद ने अपना घर बेचकर पैसे जुटाने का फैसला किया. आखिर उन्होंने प्रॉपर्टी बेचकर 50 लाख रुपये जुटाए और मालाबार गोल्ड एंड डायमंड की नींव डाली. साल 1993 में उन्होंने कोझिकोड में 400 वर्गफुट की दुकान में अपना पहला सफर शुरू किया.
खास फॉर्मूले ने दिलाई सफलता
अहमद ने अपने बिजनेस का एक खास फॉर्मला बनाया और इसी ने कारोबार को इतना सफल बनाया. दरअसल, वे गोल्ड बार यानी सोने के बिस्कुट या ईंटें खरीदते थे और ज्वैलरी बनाकर बेचते थे. इससे कंपनी का प्रॉफिट और ज्यादा होने लगा. जल्द ही उन्होंने थेलिचेरी और थिरूर में दो और स्टोर खोल दिए. इतना ही नहीं साल 2015 में कोझिकोड वाले 400 वर्गफुट के शोरूम को 4,000 वर्गफुट के विशाल शोरूम में बदल दिया.
क्वालिटी से बनाया नाम
मालाबार ब्रांड से ज्वैलरी बेचने वाले अहमद ने साल 1999 से ही सिर्फ बीआईएस हॉलमार्क वाली ज्वैलरी ही बेचना शुरू कर दिया था. उनका मकसद अपने कस्टमर को हाई क्वालिटी प्रोडक्ट उपलब्ध कराना था. इसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2001 में भारत के बाहर खाड़ी देश में पहला स्टोर खोला और 10 साल बाद 2011 में रियाद में अपना 50 स्टोर भी खोल दिया. इस समय तक कंपनी का राजस्व 12 हजार करोड़ पार हो चुका था. आज कंपनी के 7 देशों में 103 स्टोर हैं और भारत व यूएई में फैक्टरी भी डाल रखी है.
Tags: Business news, Success Story, Successful business leadersFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 14:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed