कंचनजंगा रेल एक्‍सीडेंट: ऑटोमैटिक सिग्‍नल क्‍या है जिसे तोड़ने से हादसा हुआ

Kanchanjungha Express : रेलवे मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से एक मालगाड़ी ने सिग्‍लन तोड़कर टक्कर मारी है. यहां पर ऑटोमैटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम लगा है, जिससे दो ट्रेनों के बीच में गैप तय होता है. ऐसे में हादसा होने की आशंका कैसे रहती है? जानें

कंचनजंगा रेल एक्‍सीडेंट: ऑटोमैटिक सिग्‍नल क्‍या है जिसे तोड़ने से हादसा हुआ
Kanchanjungha Express : पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से एक मालगाड़ी ने सिग्‍लन तोड़कर टक्कर मार दी. यहां पर ऑटोमेटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम लगा है, जिससे दो ट्रेनों के बीच दूरी तय होती है और संचालन होता है. भारतीय रेलवे धीरे-धीरे एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम से ऑटोमैटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम में शिफ्ट हो रहा है. इसके क्‍या फायदे हैं, यह कैसे काम करता है और सिस्‍टम लगे होने के बावजूद हादसे की आशंका कैसे रहती है? जानें रेलवे मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार दो ट्रेनों के बीच की दूरी तय करने के लिए दो तरह के सिस्‍टम काम कर रहे हैं. पहला एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम और दूसरा ऑटोमेटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम है. भारतीय रेलवे धीरे-धीरे ऑटोमैटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम में शिफ्ट हो रहा है. एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम पुराना है. हालांकि अभी भी तमाम जगह चल रहा है. क्‍या है एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम के तहत ट्रेनों के बीच की दूरी स्‍टेशनों के बीच की दूरी पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए जब एक ट्रेन अगले स्‍टेशन को पार कर जाती है तो पहले स्‍टेशन पर खड़ी ट्रेन को सिग्‍लन मिलता है. इस सिस्‍टम में स्‍टेशनों के बीच दूरी चाहे एक किमी. हो, या कई किमी., इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस तरह दो स्‍टेशनों के बीच कोई ट्रेन नहीं होती है. इससे ट्रेनों के बीच का गैप काफी रहता है. इस सिस्‍टम के तहत सीमित संख्‍या में ही ट्रेनों का संचालन होता है. हालांकि इसमें भी सिग्‍लन होते हैं. इस सिस्‍टम के तहत दूरी कोई तय नहीं होती है. क्‍या है ऑटोमेटिक सिग्‍नल सिस्टम इस सिस्‍टम के तहत दो स्‍टेशनों के बीच में भी कई सिग्‍नल लगे होते हैं. ये सिग्‍लन ऑटोमैटिक काम करते हैं. इनकी दूरी तय रहती है लेकिन अलग-अलग सेक्‍शन में जरूरत के अनुसार होती है. जहां पर ट्रेनों का ट्रैफिक अधिक है और किसी तरह की कोई तकनीकी समस्‍या नहीं है तो कम दूरी के अंतराल में सिग्‍लन लगे हैं और जहां ऐसी कोई समस्‍या है तो अधिक दूरी पर सिग्‍लन लगे हुए हैं. उदाहरण के लिए मुंबई में ट्रेनों की संख्‍या अधिक है, इस वजह से 500 मीटर तक की दूरी ट्रेनें चलती हैं. यहां पर‍ सिग्‍लन करीब- करीब हैं. एक के पीछे एक ट्रेन चलती हैं. इस वजह से दो स्‍टेशनों के बीच काफी संख्‍या में ट्रेनों का संचालन होता है. हादसे की वजह कंचनजंगा रेल हादसे में मालगाड़ी के लोकोपायलट ने सिग्‍नल को तोड़कर टक्‍कर मारी है. जब एक ट्रेन आगे होती है तो ट्रेन को धीमी करने का सिग्‍लन स्‍वत: ही हो जाता है. ऐसे में लोकोपायलट ने सिग्‍लन की अनेदेखी कैसे की, इसकी जांच की जा रही है. Tags: Indian railway, Indian Railway news, Train accidentFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 15:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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