जब तक फ्लैट नहीं तैयार होता मकान खरीदारों को हर महीने मिलेंगे 30 हजार रुपये
जब तक फ्लैट नहीं तैयार होता मकान खरीदारों को हर महीने मिलेंगे 30 हजार रुपये
RERA vs Home Buyers : हरियाणा रेरा ने एक आदेश में कहा है कि गुरुग्राम की ग्रीन व्यू सोसाइटी के 7 टॉवर को जब तक गिराकर दोबारा नहीं बनाया जाता, एनबीसीसी कंपनी को हर मकान खरीदार को 30 हजार रुपये महीने देने होंगे. एक महीने के भीतर पैसे नहीं देने पर 10.5 फीसदी ब्याज भी देना होगा.
नई दिल्ली. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) कितना जरूरी है, इसका अंदाजा आप गुरुग्राम की एक सोसाइटी में होने वाली मनमानी से ही लगा सकते हैं. अगर यह कानून नहीं आया होता तो बिल्डर और कंपनियां आम आदमी का पैसा भी ले लेतीं और मकान भी नहीं मिल पाता. ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए ऐसे ही एक मामले में हरियाणा के रेरा ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (NBCC) को आदेश दिया है कि जब तक मकान खरीदारों को उनका घर नहीं मिल जाता, किराये के तौर पर हर महीने 30 हजार रुपये देने होंगे. अगर कंपनी ने पैसे नहीं दिए तो उस पर सालाना 10.50 फीसदी के हिसाब से ब्याज भी चुकाना पड़ेगा.
यह मामला है गुरुग्राम के सेक्टर 37D में बनी ग्रीन व्यू सोसाइटी का. इस सोसाइटी में सैकड़ों लोगों ने फ्लैट खरीदा और कुछ समय बाद उसमें दरारें आने लगीं. इस पर आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों ने फ्लैट की जांच की और उसे खतरनाक बताते हुए रहने के लिए अयोग्य करार दे दिया था. इसके बाद मार्च, 2022 में ही लोगों ने इस फ्लैट को खाली कर दिया और दूसरी जगह किराये पर रहने लगे. मकान खरीदारों में शामिल सौरभ मेहता और जय प्रकाश मेहता ने रेरा कोर्ट में केस किया, जिस पर यह आदेश आया है.
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कब तक देना होगा पैसा
रेरा कोर्ट ने आदेश में कहा है कि मकान खरीदारों को एक महीने के भीतर इस रकम का भुगतान हो जाना चाहिए. अगर पैसे नहीं दिए तो सालाना 10.50 फीसदी ब्याज भी भरना पडे़गा. एनबीसीसी ने इन फ्लैट को गिराकर दोबारा बनाने का प्लान जारी किया था, जिस पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी थी. जिला प्रशासन का कहना है कि सोसाइटी को लेकर कई लीगल मामले चल रहे हैं और क्षतिपूर्ति भी अभी तक नहीं दी गई है. लिहाजा इन मामलों के निपटने तक बिल्डिंग को गिराने पर रोक रहेगी.
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार
जिला प्रशासन का कहना है कि इस बिल्डिंग में मकान खरीदने वाले आर्थिक रूप से कमजोर सेक्शन वालों ने दिल्ली हाईकोर्ट में क्षतिपूर्ति का दावा किया है. जब तक कोर्ट से आदेश नहीं आ जाता, बिल्डिंग को गिराया नहीं जा सकता है. प्रशासन ने कमिश्नर से भी अपील की है कि मकान खरीदारों की रजिस्ट्री जल्द करा दी जाए, ताकि उन्हें एनबीसीसी से क्षतिपूर्ति दिलाई जा सके.
7 टॉवर गिराए जाएंगे
एनबीसीसी ने कहा था कि इस सोसाइटी में बने 7 टॉवर पूरी तरह डेंजर जोन में हैं और इनमें रहने वालों पर खतरा है. लिहाजा इन टॉवर को जितनी जल्दी हो सके गिरा दिया जाना चाहिए. इस बारे में जिला मजिस्ट्रेट ने भी अपना आदेश जारी किया था कि टॉवर को गिराकर जल्द दोबारा बनाया जाए, ताकि मकान खरीदारों के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके. अब जब तक टॉवर नहीं गिरता है, एनबीसीसी को हर मकान खरीदार को 30 हजार रुपये महीने का भुगतान करना पडे़गा.
Tags: Business news, Buying a home, UP RERAFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 11:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed