डॉक्टरों और दवा कंपनियों के गठजोड़ को भी अब भ्रष्टाचार की जांच के दायरे में लाने की है तैयारी
डॉक्टरों और दवा कंपनियों के गठजोड़ को भी अब भ्रष्टाचार की जांच के दायरे में लाने की है तैयारी
दवा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ (Pharmaceutical Companies and Doctors Nexus) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जवाब फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेंजेंटिटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) के द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद मांगा है. इस याचिका में दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को बांटे जाने वाले उपहारों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की गई है.
नई दिल्ली. दवा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ (Pharmaceutical Companies and Doctors Nexus) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जवाब फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेंजेंटिटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) के द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद मांगा है. इस याचिका में दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को बांटे जाने वाले उपहारों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की गई है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका डोलो- 650 (Dolo- 650mg Tablet) बनाने वाली दवा कंपनी के खिलाफ दायर की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सूत्रों की मानें तो हाल के कुछ घटनाक्रमों के बाद मोदी सरकार इस गठजोड़ को भ्रष्टाचार के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने एफएमआरएआई द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब देने को कहा है, जिसमें डोलो- 650 दवा बनाने वाली कंपनियों ने इस दवा को बढ़ावा देने के लिए 1000 हजार करोड़ रुपये डॉक्टरों को मुफ्त उपहार की पेशकश की. सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताया है. इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होने वाली है.
बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई डोलो- 650 टैबलेट बुखार में इस्तेमाल में की जाने वाली दवा है. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई
बता दें कि बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई डोलो- 650 टैबलेट बुखार में इस्तेमाल में की जाने वाली दवा है. कोरोना काल के दौरान यह दवा देश के हर घर में उपयोग में लाई गई. सभी डॉक्टरों ने इस दवा को बुखार से निजात दिलाने के लिए प्रिस्क्राइब किया. कोरोना काल में यह दवा बाजार में आसानी से उपलब्ध थी.
गठजोड़ पर क्या कहता नियम
अब एफएमआरएआई ने इस फार्मा कंपनियों पर पर अनैतिक रूप से डॉक्टरों को उपहार देकर दवा लिखवाने का आरोप लगाया है. यह संगठन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार को लागू करने की मांग कर रहा है. संगठन ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों के द्वारा यह दवा ज्यादा लिखने के कारण इसके दाम बढ़ते हैं और इससे आम आदमी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.
दवा कंपनियां दवा विक्रेताओं को अपनी कंपनियों की दवा बेचने पर मोटा मुनाफा का लालच देते हैं?
दवा व्यवसाय से जुड़े लोगों का क्या कहना है
दवा व्यवसाय से जुड़े राहुल कुमार न्यूज-18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, देखिए दवा बेचने वाले केमिस्ट भी इस खेल का हिस्सेदार हैं. दवा कंपनियां दवा विक्रेताओं को अपनी कंपनियों की दवा बेचने पर मोटा मुनाफा का लालच देते हैं. दवा विक्रेता जेनेरिक दवा ज्यादातर नहीं बेचना चाहते हैं, क्योंकि उस पर उनका मार्जिन बहुत कम आता है. लेकिन, ब्रांडेड दवा बेचने पर उनको 40 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक मुनाफा होता है. हां, दवा विक्रेता और डॉक्टरों का आपस में गठजोड़ होता है. डॉक्टर ऐसा दवा लिखता है कि वह किसी खास दवा दुकानदार के अलावा कहीं और नहीं मिलता है. मजबूरी में मरीज को उसी विक्रेता से दवा लेनी पड़ती है. इसमें दवा कंपनी से जो कमीशन मिलता है, उसमें डॉक्टर और दवा विक्रेता दोनों का हिस्सा होता है.’
आईएमए क्या तर्क देती है
वहीं, दूसरी तरफ भारतीय चिकित्सा परिषद का कहना है कि डॉक्टरों के लिए फार्मा और स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ संबंधों को लेकर खुद को एक आचार संहिता निर्धारित कर रखी है. इसमें डॉक्टरों के उपहार लेने, यात्रा सुविधाएं, आतिथ्य और नगद स्वीकार करने में रोक है, लेकिन यह नियम दवा कंपनियों पर लागू नहीं होता है.
अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जांच के लिए कड़े कानून हैं.(up24x7news.com)
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बता दें कि दुनिया के कई दूसरे मुल्कों जैसे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जांच के लिए कड़े कानून हैं. लेकिन, भारत में दवा कंपनियां अपनी महंगी दवाएं लिखने के लिए डॉक्टरों को न केवल मोटी रिश्वत देती हैं, बल्कि उन्हें महंगे उपहार और परिवार सहित विदेश में छुट्टियों तक का भी ऑफर देती हैं. साथ ही आलीशान होटलों में परिवार सहित पार्टी, कीमती शराब या महंगे मोबाइल फोन देना आम है. भारत में दवाओं के प्रमोशन का ये अनैतिक खर्च मरीजों से वसूला जाता है. भारत में कोई पुख्ता और स्पष्ट कानून नहीं होने के कारण ये कंपनियां अपनी दवाओं को मनचाही कीमतों पर बेचती हैं. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है.
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Tags: Central government, Doctors, Medicines, Pharmaceutical company, PM Modi, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 22, 2022, 20:41 IST