हीरे के बिजनेस में भीषण गरीबी! 7 हजार कंपनियों पर संकट क्यों हुआ बुरा हाल
हीरे के बिजनेस में भीषण गरीबी! 7 हजार कंपनियों पर संकट क्यों हुआ बुरा हाल
Diamond Crisis : देश के सबसे सफल बिजनेस में शुमार किया जाने वाला हीरा उद्योग आजकल भयंकर संकट से गुजर रहा है. रूस और यूक्रेन में युद्ध के बाद हीरा उद्योग पर बड़ा असर पड़ा है. ऊपर से लैब में बने हीरे की डिमांड ने नेचुरल हीरे पर संकट और बढ़ा दिया है.
हाइलाइट्स हीरा उद्योग का निर्यात काफी कम हो गया है. 2 साल मेें हीरा कारोबार 25 फीसदी गिर गया. इससे नौकरियां जाने का संकट हो गया है.
नई दिल्ली. ‘हीरा’ आज भी पूरी दुनिया में अमीरी का सिंबल माना जाता है. लेकिन, फिलहाल यह अमीर बिजनेस घोर ‘गरीबी’ के दौर से गुजर रहा है. आलम ये हो गया है कि 7 हजार कंपनियों को एकसाथ नुकसान उठाना पड़ रहा तो हजारों की नौकरी जाने का संकट पैदा हो गया है. अभी तक 60 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.
जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत का हीरा क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि पिछले तीन वर्षों में आयात व निर्यात दोनों में ही भारी गिरावट आई है. इससे लोन के भुगतान में चूक होने से कंपनियां धड़ाधड़ी डिफॉल्ट हो रही हैं. कारखाने बंद होने और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
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लगातार घट रहे ऑर्डर
आर्थिक शोध संस्थान ने बताया कि निर्यात से आमदनी में तो वृद्धि हुई है, लेकिन ऑर्डर में कमी और प्रयोगशाला में बनने वाले हीरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अप्रसंस्कृत कच्चे हीरों का भंडार बढ़ रहा है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, इस क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तथा क्षेत्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.
नौकरियां जाने का संकट
अजय श्रीवास्तव के अनुसार, कारोबार में लगातार गिरावट से भुगतान में चूक, कारखाने बंद होने और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. दुख की बात यह है कि गुजरात के हीरा उद्योग से जुड़े 60 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली, जो भारत के हीरा उद्योग पर पड़ रहे गंभीर वित्तीय तथा भावनात्मक दबाव को दर्शाता है.
25 फीसदी गिर गया कारोबार
आर्थिक शोध संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में 18.5 अरब अमेरिकी डॉलर से 2023-24 में 14 अरब अमेरिकी डॉलर तक कच्चे हीरे के आयात में 24.5 प्रतिशत की गिरावट कमजोर वैश्विक बाजारों और कम प्रसंस्करण ऑर्डर (ठेकों) को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक हीरा आपूर्ति शृंखला को भी प्रभावित किया है. रूस प्रमुख कच्चा हीरा उत्पादक है, उस पर प्रतिबंधों ने व्यापार को और जटिल बना दिया है तथा वैश्विक हीरा व्यापार सुस्त पड़ गया.
लैब में बने हीरे काट रहे ‘चांदी’
श्रीवास्तव ने कहा कि प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों की ओर उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग प्राकृतिक हीरों की मांग को प्रभावित कर रही है. ऐसा माना जाता है कि प्रयोगशाला में बने हीरे अधिक किफायती तथा टिकाऊ होते हैं. जीटीआरआई ने यह भी कहा कि दुबई हीरे का उत्पादन नहीं करता है, फिर भी भारत के कच्चे हीरे के आयात में इसकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. दुबई में बोत्सवाना, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, रूस से कच्चे हीरे जाते हैा और इन्हें फिर भारत में निर्यात करता है. भारतीय हीरा उद्योग में 7,000 से अधिक कंपनियां शामिल हैं जो हीरे की कटाई, उन्हें तराशने और निर्यात जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं.
Tags: Business news, Diamond mining, Job insecurityFIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 15:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed