स्‍टॉक और म्‍यूचुअल फंड से बैंक परेशान! अब बदलेंगे FD पर नियम

Bank FD : बैंकों ने लगातार घट रही जमाओं पर बड़ी चिंता जताई है. सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों से बातचीत में कहा है कि अगर इस बारे में जल्‍द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो लोन की मांग को पूरी करना संभव नहीं होगा, क्‍योंकि जमा के मुकाबले कर्ज बांटने की दर बढ़ती जा रही है.

स्‍टॉक और म्‍यूचुअल फंड से बैंक परेशान! अब बदलेंगे FD पर नियम
हाइलाइट्स 2020-21 में राष्‍ट्रीय जमा के अनुपात में बैंकों का डिपॉजिट रेट 6.2 फीसदी था. 2022-23 में बैंक में पैसे जमा करने की यह दर घटकर 4 फीसदी पर आ गई है. शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में बंपर रिटर्न देखते हुए लोग यहां पैसा लगा रहे हैं. नई दिल्‍ली. एसबीआई सहित तमाम सरकारी बैंकों ने खुद को बचाने की गुहार लगाई है. बैंकों की शिकायत है कि हमारे पास लोन लेने वालों की तो लाइन लग रही है, लेकिन पैसे जमा करने लोग नहीं आ रहे. इस लिहाज से फंड की कमी होती जा रही है. ऐसे में लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ प्रलोभन यानी इंसेंटिव देना पड़ेगा. बैंकों के समूह ने इस बाबत वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारियों से बातचीत भी की है और जल्‍द ही इसका समाधान निकालने को कहा है. इसके लिए एफडी (FD) पर नियम बदलने का सुझाव भी दिया है, ताकि इसमें निवेश बढ़ाया जा सके. इकनॉमिक टाइम्‍स के अनुसार, बैंकों के कर्ज बांटने की दर वित्‍त्‍वर्ष 2023-24 में जमाओं के मुकाबले कहीं ज्‍यादा बढ़ गई है. आलम ये है कि अब बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए फंड की कमी हो रही है और जमा बढ़ नहीं रहा है. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वित्‍तवर्ष 2020-21 में जहां राष्‍ट्रीय जमा के अनुपात में बैंकों का डिपॉजिट रेट 6.2 फीसदी था, वहीं 2022-23 में यह घटकर 4 फीसदी पर आ गया है. साफ जाहिर है कि लोग बैंकों में पैसे जमा नहीं करते, लेकिन लोन सरकारी बैंकों से ही लेना चाहते हैं. ये भी पढ़ें – रसोई में घुसी महंगाई, अब महंगी होगी दाल फ्राई, बढ़ गया पूड़ी-पराठा बनाने का खर्च, सलाद का भी बिगड़ा जायका फिर कहां लगा रहे अपना पैसा सरकारी बैंकों ने कहा है कि शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड से मिल रहे बंपर रिटर्न को देखते हुए ज्‍यादातर लोग अपना पैसा इन्‍हीं विकल्‍पों में निवेश करते हैं और बैंक एफडी में निवेश लगातार कम हो रहा है. बैंकों में जमा की दर जहां 3 साल में 2.2 फीसदी घट गई है, वहीं शेयर बाजार में निवेश 0.8 फीसदी बढ़ गया है. म्‍यूचुअल फंड में निवेश तो और भी बढ़ता जा रहा है. क्‍यों एफडी से हो रहा मोहभंग बैंकों ने जमाओं में लगातार आ रही गिरावट का भी कारण बताया है. वरिष्‍ठ अधिकारियों से हुई बातचीत में बैंकों के समूह ने बताया कि एफडी पर लोगों को टैक्‍स छूट 5 साल पर ही मिलती है. ज्‍यादातर टैक्‍स सेविंग एफडी का लॉक इन पीरियड 5 साल का है. वहीं, इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम (ELSS) जैसी म्‍यूचुअल फंड की स्‍कीम में लॉक इन पीरियड सिर्फ 3 साल का है और इस पर रिटर्न भी एफडी के मुकाबले कहीं ज्‍यादा मिल जाता है. आखिर क्‍या है इसका तोड़ सरकारी बैंकों के समूह ने वरिष्‍ठ अधिकारियों को इस मुश्किल का सुझाव भी दिया है. उन्‍होंने कहा है कि लोगों को बैंक में पैसे जमा करने के लिए लुभाना होगा. इसका सबसे अच्‍छा तरीका टैक्‍स सेविंग एफडी पर लॉक इन पीरियड घटाना है. अगर 5 साल के बजाए 3 साल की एफडी पर भी टैक्‍स छूट देना शुरू कर दिया जाए तो लोग बैंकों में पैसे जमा करना शुरू कर देंगे. Tags: Bank Loan, Business news, Fixed deposits, Income taxFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 16:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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