बड़ा ही चमत्कारी है यह शिवलिंग 6 महीने रहता है जल के अंदर जानें मान्यता
बड़ा ही चमत्कारी है यह शिवलिंग 6 महीने रहता है जल के अंदर जानें मान्यता
गर्ग ऋषि ने वासुदेव व देवकी के संतान की प्राप्ति के लिए उनके हाथों संकल्प लेकर गंगेश्वर महादेव की स्थापना की थी. शिव और शक्ति की तपस्या के बाद गर्ग ऋषि ने सिद्धि की प्राप्ति की. छह महीने तक भक्त दर्शन कर सकते हैं.
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : विंध्य नगरी मिर्जापुर शिव और शक्ति का केंद्र है. विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम के पास गंगा पहाड़ के ऊपर से होकर गुजरी है. इसी धाम के पास गंगा के बीच गंगेश्वर महादेव का शिवलिंग है. शिवलिंग पर रुद्राक्ष बने हुए हैं. यह शिवलिंग 6 महीने जल के अंदर रहता है. वहीं 6 महीने तक महादेव भक्तों को दर्शन देते हैं. मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने से सूनी गोद भर जाती है. यह इसलिए भी विशेष है, क्योकि गंगा के बीच ऐसा कोई शिवलिंग नहीं है. दर्शन मात्र से ही भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
तीर्थ पुरोहित आचार्य पं. अगस्त्य द्विवेदी ने बताया कि विंध्य पर्वत पर भगवान शिव व भगवती मां विंध्यवासिनी साक्षात विराजमान है. मां गंगा गौमुख से निकलने के बाद विंध्य पर्वत पर ही निवास कर रही हैं. यहां पर गंगा के बीच गंगेश्वर महादेव का मंदिर है, जिसका गंगा स्वयं अभिषेक करते हुए आगे चली जाती है. इस शिवलिंग की स्थापना गर्ग ऋषि ने किया था. उन्होंने प्रतिष्ठा की थी, जिसके बाद तपस्या की थी.
वासुदेव-देवकी के संतान के लिए हुई थी स्थापना
पं. अगत्स्य द्विवेदी ने बताया कि गर्ग ऋषि वासुदेव व देवकी के गुरु थे. वासुदेव और देवकी संतान के लिए चिंतित थे. उनके मनोरथ को पूर्ण करने के लिए गर्ग ऋषि वासुदेव व देवकी के हाथों से संकल्प करके विंध्य पर्वत पर आए, जहां गंगा नदी के बीच उन्होंने शिवलिंग की प्रतिष्ठा की. गर्ग ऋषि ने पूजन-अर्चन किया. शिव और शक्ति की तपस्या के पश्चात उन्होंने संकल्प सिद्धि की प्राप्ति की. आज भी संतान प्राप्ति के लिए भक्त दर्शन के लिए यहां आते हैं.
नवंबर के बाद होते हैं दर्शन
रामलाल साहनी ने बताया कि पूरे देश में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां गंगा पहाड़ से होकर गुजरी है. यहां पर बीच गंगा में गंगेश्वर महादेव का शिवलिंग है. यहां पर नवंबर के बाद भक्त दर्शन कर सकते हैं. बारिश होने से पहले तक भक्तों को महादेव दर्शन देते हैं. मान्यता है कि यहां पर दर्शन के बाद संतान की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है. नाव का प्रयोग करके भक्त दर्शन के लिए आ सकते हैं.
Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 15, 2024, 12:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed