IPM विधि से करें लौकी- करेले की खेती कम लागत में होगा जबरदस्त मुनाफा
IPM विधि से करें लौकी- करेले की खेती कम लागत में होगा जबरदस्त मुनाफा
IPM Vidhi Farming: जिले के किसान IPM (एकीकृत कीट प्रबंधन) तकनीक से लौकी, करेले की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. बाराबंकी जिले के सदीपुर गांव के रहने वाले किसान चमन ने डेढ़ बीघे से लौकी- करेले की खेती की शुरुआत की. इसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ.
बाराबंकी: वैसे ज्यादातर किसान सिर्फ गेहूं,धान, मेंथा और सरसों की खेती करते हैं. लेकिन, अब जिले के किसान इन सबसे हटकर बागवानी और साग-सब्जियों की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं. इससे यहां के किसानों को पहले से ज्यादा फायदा हो रहा है. साथ ही उनको हर दिन हरी सब्जियां भी खाने को मिलती है.
जिले के किसान IPM (एकीकृत कीट प्रबंधन) तकनीक से लौकी, करेले की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. बाराबंकी जिले के सदीपुर गांव के रहने वाले किसान चमन ने डेढ़ बीघे से लौकी- करेले की खेती की शुरुआत की. इसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. आज वह करीब एक एकड़ से ज्यादा की जमीन पर लौकी- करेले की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें ढाई से 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष मुनाफा हो रहा है.
15 हजार की लागत में लाखों का मुनाफा
सब्जियों की खेती कर रहे युवा किसान चमन ने बताया है पहले वह आलू, धान, गेंहू आदि की खेती करता था. इनमें उसे कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा था. फिर उसने डेढ़ बीघे में लौकी- करेले की खेती की शुरुआत की. अब उसे अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. आज करीब एक एकड़ से ज्यादा में आईपीएम विधि से लौकी- करेले की खेती कर रहे हैं. करीब एक बीघे में 15 हजार रुपये की लागत आती है. क्योंकि इसमें बीज, बांस, डोरी, पन्नी पानी लेबर आदि का खर्च लगता है. वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर ढाई से तीन लाख रुपये तक हो जाता है.
आईपीएम विधि से फसल का उत्पादन
इस खेती में वह आईपीएम विधि के प्रयोग से फसलों को नष्ट करने वाले कीटों को नियंत्रण करने के लिए पीले, नीले, लाल और स्टिकी ट्रैप, लाइट ट्रैप व् स्पाइन बुश नियंत्रण अपने खेतों में लगा देते है.इस स्टिक पर खतरनाक कीड़े ट्रैप हो जाते हैं, जिससे उनकी फसलों को नुकसान नहीं पहुंच पाता. इसको लगाने से कीटनाशक दवाइयां नहीं डालनी पड़ती और सब्जियों का उत्पादन शुद्ध और पौष्टिक होता है.
कैसे करें इस विधि का इस्तेमाल?
लौकी और करेले खेती करना बहुत ही आसान है. सबसे पहले खेत की दो बार जुताई करें. इसके बाद पूरे खेत में मेड़ बनाते हैं. फिर पन्नी बिछा देते हैं. इसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर पन्नी में छेद कर लौकी करेले के बीज को लगाया जाता है. जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है. तब इसकी सिंचाई करते हैं. इसके बाद खेत में बांस का स्टेचर बनाते हैं, जिस पर करेले के पौधे को डोरी के सहारे बांध दिया जाता है. इससे पौधा स्ट्रक्चर पर फैल जाता है. जब फसल तैयार होती है, तो उसे तोड़ने में आसानी होती है. वहीं, पौधा लगाने के महज दो महीने बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है. इसे हर दिन तोड़कर बाजारों में बेचा जा सकता है. यह फसल करीब दो से ढाई महीने तक चलती है.
Tags: Barabanki News, Local18FIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 15:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed