रामपुर के नवाबों ने आपात स्थिति में निकलने के लिए अपने किलों में कई गुप्त रास्तों का निर्माण कराया था. कहा जाता है कि नवाबों ने अपने हर किले में कई गुप्त सुरंगें बनवाई थीं, जिनमें से एक सुरंग शाहबाद के लक्की बाग को रामपुर के महल कोठी खास बाग से जोड़ती थी. समय के साथ इन गुप्त सुरंगों की खोज होती रहती है और कुछ प्राचीन सुरंगें आज भी सामने आती रहती हैं.
रामपुर रियासत के पहले नवाब फैजुल्ला खां अपनी सेना के साथ शाहबाद के लक्की बाग में ठहरे थे. करीब 145 साल पहले, नवाब कल्बे अली खां के शासनकाल में यहां एक आलीशान कोठी का निर्माण कराया गया और बाग लगाया गया. उसी समय रामपुर के कोठी खास बाग के लिए एक सुरंग बनवाई गई थी. इस कोठी में नवाब की सेना का डेरा होता था और नवाब के परिवार के लोग भी समय-समय पर यहां निवास करते थे.
कोठी के बीच कई गुप्त सुरंगें
इतिहासकार फरहत अली खान के अनुसार, रामपुर के नवाबों के बेनजीर बाग, कोठी खास बाग पैलेस और शाहबाद में लक्की बाग स्थित कोठी के बीच कई गुप्त सुरंगें हैं, जो एक महल को दूसरे महल से जोड़ती हैं. जानकारों के मुताबिक, लक्की बाग स्थित कोठी में आज भी रोशनदान इन सुरंगों की मौजूदगी का संकेत देते हैं. रामपुर रियासत की दो बड़ी कोठियां, जिनके बीच करीब 40 किलोमीटर की दूरी है, इन सुरंगों के माध्यम से जुड़ी हुई हैं.
40 किलोमीटर लंबी सुरंग
जानकारों की मानें तो नवाब साहब ने रामपुर से शाहबाद तक लगभग 40 किलोमीटर लंबी सुरंग बनवाई थी, जिससे वे किसी भी आपात स्थिति में खुद और अपने परिवार की रक्षा कर सकें. इन गुप्त रास्तों के माध्यम से नवाब विपरीत परिस्थितियों में किलों से बाहर निकल जाया करते थे.
Tags: History of India, Local18FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 10:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed