फसलों के लिए क्यों जरूरी है कॉपर और जिंक कैसे किसान हो सकते हैं मालामाल
फसलों के लिए क्यों जरूरी है कॉपर और जिंक कैसे किसान हो सकते हैं मालामाल
कृषि विशेषज्ञ अनूप शंकर मिश्रा बताते हैं कि मिट्टी में कॉपर और जिंक की सही मात्रा का पता लगाने के लिए समय-समय पर परीक्षण करते रहना चाहिए. जिससे उसमें मौजूद प्राकृतिक गुणों और खनिज तत्वों के बारे में जानकारी मिलती रहेगी.
सौरभ वर्मा/रायबरेली. खेतों से फसलों की अच्छी उपज के लिए उपयुक्त मिट्टी के साथ जलवायु और सिंचाई का होना बेहद जरूरी होता है .साथ ही समय पर खेतों में सही उर्वरक भी देना चाहिए. जिससे फसल की ग्रोथ अच्छी हो और पैदावार में भी बढ़ोतरी हो सके. साथ ही अच्छी पैदावार के लिए उन्हें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलना भी जरूरी होता है. लेकिन अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के कारण हमारे खेत की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ रहा है.खेत में मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी न हो इसीलिए किसानों को कृषि विशेषज्ञ कि यह सलाह जानना बेहद जरूरी है.
कृषि के क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले खुशहाली कृषि संस्थान रायबरेली के पूर्व प्रबंधक अनूप शंकर मिश्रा (Msc Ag) बताते हैं कि किसान को अपने खेत से फसलों के अधिक उत्पादन के लिए जिंक के साथ कॉपर की भरपूर मात्रा देना चाहिए. वह बताते हैं कि इसके लिए समय-समय पर खेत की मिट्टी का परीक्षण भी करते रहना चाहिए. जिससे पता चल सके की हमारे खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है. क्योंकि लगातार खेतों में फसल उत्पादन से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ जाती है. जिसकी वजह से मिट्टी पाए जाने वाले पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है और इसका प्रभाव हमारे फसल की पैदावार पर देखने को मिलता है. इसीलिए हमें अपने खेत के सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए जिंक और कॉपर का प्रयोग करते रहना चाहिए.
मिट्टी में जिंक की कमी के ये है लक्षण व बचाव
वह बताते हैं कि अगर खेत की मिट्टी में जिंक की कमी है तो खेत में लगी फसल के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने के साथ सफेद भूरे रंग की होने लगते हैं .यह नए निकलने वाले पत्तियों पर भी प्रभाव डालते हैं .इससे बचाव के लिए किसान मिट्टी परीक्षण के बाद जिंक का उपयोग करें. जिसमें जिंक सल्फेट का उपयोग करके खेतों में जिंक की कमी को दूर कर सकते हैं.
मिट्टी में कॉपर की कमी के लक्षण एवं बचाव
कॉपर की कमी होने पर पौधा धीमी रफ्तार से बढ़ता है. पत्तियां छोटी होने के साथ ही सूखने लगती हैं .साथ ही कॉपर की अधिक मात्रा होने पर भी यह फसल को नुकसान पहुंचता है .इसकी कमी को दूर करना मिट्टी के पीएच मान पर निर्भर होता है. सामान्य तौर पर कॉपर की कमी को दूर करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से लेकर 7.0 तक का होना चाहिए. खेत में कॉपर की कमी को दूर करने के लिए ई डी टी ए (एथिलीन डाय मिने टेट्राएसिटिक एसिड) का उपयोग कर सकते हैं. साथ ही मिट्टी से कॉपर की कमी को दूर करने के लिए खुबानी बीज को भी इस्तेमाल में लिया जा सकता है.
समय समय पर कराएं मिट्टी का परीक्षण
Local 18 से बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ अनूप शंकर मिश्रा बताते हैं कि मिट्टी में कॉपर और जिंक की सही मात्रा का पता लगाने के लिए समय-समय पर परीक्षण कराते रहना चाहिए. जिससे उसमें मौजूद प्राकृतिक गुणों और खनिज तत्वों के बारे में जानकारी मिलती रहेगी.
Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 14:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed