किसी को खटकती थीं ट्विन टॉवर तो किसी को दूर से घर का बताती थीं पता रेजिडेंट्स के खट्टे मीठे अनुभव
किसी को खटकती थीं ट्विन टॉवर तो किसी को दूर से घर का बताती थीं पता रेजिडेंट्स के खट्टे मीठे अनुभव
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स की मानें तो एक दशक से ज्यादा समय तक परेशानियों से जूझने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे सुबह अभी हुई है. इतिहास बन चुकी ट्विन टॉवरों को लेकर एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स ने न्यूज18 हिंदी से अपने खट्टे मीठे अनुभव बांटे हैं.
नई दिल्ली. दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि भारत की सबसे ऊंची सुपरटेक ट्विन टावरें आखिरकार रविवार को ढहा दी गईं. एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में रह रहे रेजिडेंट्स की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कुतुबमीनार जैसी ऊंची लेकिन अवैध तरीके से बनीं इन इमारतों को गिराया गया है. रविवार की सुबह तक जहां घरों में धूप और हवा भी रुकी हुई थी, वहां अब रोशनी और हवा की बंदिशें टूट गई हैं. रेजिडेंट्स की मानें तो एक दशक से ज्यादा समय तक परेशानियों से जूझने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे सुबह अभी हुई है. इतिहास बन चुकी ट्विन टॉवरों को लेकर एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स ने न्यूज18 हिंदी से अपने खट्टे मीठे अनुभव बांटे हैं.
आंखों में खटकती थीं ट्विन टॉवर- रेजिडेंट प्रदीप पालीवाल
सुपरटेक एमराल्ड टॉवर में रहने वाले रेजिडेंट सीनियर सिटिजन प्रदीप पालीवाल कहते हैं, 2013 में जब मैं सोसायटी में आया तो उस वक्त इन टावरों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस चल रहा था. तब तक कोर्ट का फैसला नहीं आया था और सुपरटेक के कारिंदों ने तीन-चार महीने में ही दिन रात काम करके 8 से 10 मंजिल खड़ी कर दी थीं. इस तरह एक से 14, फिर 24 और फिर 40 मंजिल बनाने का खाका तैयार हो गया. बिल्डर ने हर चीज का नाजायज फायदा उठाया था. रेजिडेंट ठगे हुए से थे. सही कहूं तो यह बिल्डिंग आंखों में खटकती थी. एक तो हमारी सोसायटीज की हवा-धूप रुकी हुई थी, दूसरा ये कि रेजिडेंट्स के साथ कितना गलत हो रहा था. आज जब ये टूट गई हैं तो बहुत राहत महसूस हो रही है. न्याय मिलने की खुशी भी हो रही है.
इन टावरों के चलते सस्ते दामों पर फ्लैट्स बेचकर चले गए थे रेजिडेंट- रजनी सेठ
सुपरटेक एमराल्ड के पास ब्लू स्टोन बिल्डिंग में रहने वाली रेजिडेंट रजनी सेठ बताती हैं कि ट्विन टावरों की वजह से सेंट्रल पार्क में धूप नहीं आती थी. दिन-राज कंस्ट्रक्शन चलता था. ऐसा लगता था कि जबरन हमारी सोसायटी के पास कुछ खड़ा कर दिया गया है. अब टूटने के बाद बहुत खुला-खुला लग रहा है. बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. इन टावरों के चलते एमराल्ड कोर्ट सहित आसपास की कई सोसायटीज में फ्लैटों के दाम गिर गए थे. कई फ्लैट मालिक तो इन्हीं की वजह से फ्लैट सस्ते दामों पर बेचकर भी चले गए थे. अब हालांकि यहां की कीमतें फिर बढ़ने लगी हैं.
दूर से ही बता देती थी घर के मोड़ का पता- रेजिडेंट योगेंद्र माथुर
पेशे से इंजीनियर रह चुके 75 वर्षीय रेजिडेंट योगेंद्र माथुर कहते हैं कि ट्विन टावरें टूट गईं ये अच्छा हुआ. अवैध रूप से और भ्रष्टाचार से बनाई गई इन इमारतों को टूटना जरूरी भी था. वे हंसते हुए कहते हैं, हालांकि एक बात ये भी है कि सुपरटेक एमराल्ड में सभी छोटी इमारतें हैं, सिर्फ ये दो टॉवर ही थीं जो सबसे ऊंची थीं. ऐसे में जब भी हम या हमारे परिवार का कोई व्यक्ति घर आता था तो इन टावरों को दूर से देखकर ही पता लगा लेता था कि अब घर का मोड़ आने वाला है. ये एक तरह से पहचान बन गई थीं जो अब खत्म हो गई.
माथुर कहते हैं कि सुपरटेक ने लालच और गलत तरीका अपनाया, वरना ये टॉवर बड़ी आलीशान बनने वाली थीं. ये सही नियमों-कानूनों के साथ बनतीं तो अच्छा होता.
हर रेजिडेंट है खुश- गौरव मेहरोत्रा
ट्विन टॉवर के डेमोलिशन के लिए बनाई गई सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट टास्क फोर्स के चेयरमैन गौरव मेहरोत्रा कहते हैं कि ट्विन टावर गिरने के बाद हर रेजिडेंट खुश है. ऐसा लग रहा है जैसे कितना बड़ा बोझ था जो उतर गया है. कुछ ही दिनों में यहां से मलबा भी साफ हो जाएगा. फिर जैसे घरों में रहने का सपना लोगों ने देखा था, एक दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद वे उस सपने को जी पाएंगे.
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Tags: Supertech Emerald Tower, Supertech twin towerFIRST PUBLISHED : August 29, 2022, 19:51 IST