इसलिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने दिया था ट्विन टावर को गिराने का आदेश
इसलिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने दिया था ट्विन टावर को गिराने का आदेश
सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) सियान और एपेक्स को विस्फोटक से गिराने का काम अमेरिका (America) और साउथ अफ्रीका की कंपनी एडिफिस कर रही है. कंपनी के भारतीय अफसरों का कहना है कि ट्विन टावर के गिरने पर उठने वली धूल किसी भी तरह की परेशानी नहीं बनेगी. इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. इस संबंध में ज्यादातर काम पूरे कर लिए गए हैं. इससे जुड़ा प्लान उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) को भी भेज दिया गया है.
नोएडा. सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को गिराने का मामला कोई साल-दो साल पुराना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाईकोर्ट (High Court) में इस मामले को करीब 10 साल हो चुके हैं. सबसे पहले इलाहबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश जारी किया था. इसके बाद जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो उसने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. नियमानुसार दो टावरों के बीच निर्धारित दूरी न रखने के चलते कोर्ट ने टावर गिराने के आदेश जारी किए थे. इस मामले में बिल्डर को एनओसी जारी करने वाले नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के 4 आईएएस पर भी आरोप तय हो चुके हैं.
नोएडा में दो टावर बनाने के यह हैं नियम
जानकारों की मानें तो नोएडा में हाईराइज टावर बनाते हुए दो टावरों के बीच की दूरी के नियमों का पालन करना होता है. नियमानुसार दो टावर के बीच 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए. लेकिन ट्विन टावर के मामले में नियमों का पालन नहीं किया गया. ट्विन टावर सियान और एपेक्स के बीच सिर्फ 8 मीटर की दूरी रखी गई है. जबकि इसी परिसर में बने अन्य टावर से ट्विन टावर के बीच की दूरी सिर्फ 9 मीटर है.
बावजूद इसके नोएडा अथॉरिटी के जिम्मेदार अफसरों ने सुपरटेक बिल्डर को टावर बनाने की एनओसी जारी कर दी. 40-40 मंजिला टावर बनाने की अनुमति दे दी गई. इतना ही नहीं जिस जमीन पर ट्विन टावर बनाए जा रहे थे वो दूसरे प्रोजेक्ट का खेल का मैदान है. हालांकि बाद में कोर्ट का आदेश आने पर 32 और 29 मंजिल पूरी होने पर ही टावर का काम बीच में रोक दिया गया.
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एक नजर में जानें ट्विन टावर के बारे में
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के पास सेक्टर-93-ए नोएडा में यह दोनों टावर बनाए जा रहे थे. सुपरटेक बिल्डर को 40-40 मंजिल बनाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन अभी एक टावर 29 मंजिल तो दूसरा 32 मंजिल का है. कुल फ्लैट 857 बनाए जाने थे, लेकिन अभी 600 फ्लैट का ढांचा ही बन पाया है. एक फ्लैट की कीमत 40 लाख से एक करोड़ रुपये तक रखी गई थी. सुपरटेक बिल्डर अब तक इस प्रोजेक्ट में 500 करोड़ रुपये लगा चुका है, जबकि इसकी लागत 800 करोड़ रुपये आ रही थी.
जानिए दोषी अफसरों पर क्या हो सकती है कार्रवाई
सुपरटेक बिल्डर के सियान और एपेक्स टावर की जांच के लिए आईआईडीसी संजीव मित्तल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी बनाई गई थी. एसआईटी ने 4 आईएएस समेत 26 अफसरों की संलिप्तता बताई थी. अब उसी एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक सिविल सर्विसेज रूल्स की धारा-351 (ए) के तहत रिटायरमेंट से चार साल के अंदर नोएडा अथॉरिटी खुद अनुशासनात्मक कार्रवाई कर कसती है. इसके तहत दोषियों की पेंशन से नुकसान की राशि की रिकवरी भी की जा सकती है. वहीं जिसको रिटायर हुए चार साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है उसके खिलाफ सिविल सूट के जरिए कार्रवाई की जाएगी.
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Tags: IAS, Noida Authority, Supertech twin tower, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : August 25, 2022, 10:40 IST