कानपुर में जाली दस्तावेज़ों के सहारे 32 साल से रह रहा पाकिस्तानी नागिरक एक बेटा एयरफोर्स में तैनात दूसरा सरकारी मुलाजिम!
कानपुर में जाली दस्तावेज़ों के सहारे 32 साल से रह रहा पाकिस्तानी नागिरक एक बेटा एयरफोर्स में तैनात दूसरा सरकारी मुलाजिम!
आरोप है कि आलम चन्द्र इसरानी मूलत: पाकिस्तान का नागरिक है. वह लंबी अवधि का वीजा लेकर भारत आया और यहां जाली आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि बनाकर भारतीय नागरिक के रूप में कानपुर स्थित बर्रा में रहने लगा. इस दौरान वह सरकारी सुविधाओं का भी पूरा लाभ लेता रहा. हद तो यह कि इस दौरान उनके एक बेटे ने भारतीय एयरफोर्स में नौकरी हासिल कर ली तो वहीं दूसरा सरकारी मुलाज़िम बन गया.
कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में बड़ा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां कथित रूप से एक पाकिस्तानी नागरिक पिछले 32 साल से भारतीय बनकर रह रहा था. आरोप है कि आलम चन्द्र इसरानी मूलत: पाकिस्तान का नागरिक है. वह लंबी अवधि का वीजा लेकर भारत आया और यहां जाली आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि बनाकर भारतीय नागरिक के रूप में कानपुर स्थित बर्रा में रहने लगा. इस दौरान वह सरकारी सुविधाओं का भी पूरा लाभ लेता रहा. हद तो यह कि इस दौरान उनके एक बेटे ने भारतीय एयरफोर्स में नौकरी हासिल कर ली तो वहीं दूसरा सरकारी मुलाज़िम बन गया.
इस परिवार का भेद तब खुला जब आलोक कुमार नामक एक शख्स ने उन तीनों के खिलाफ जूही थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर इन तीनों के खिलाफ विदेशी अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
कानपुर कमिश्नरेट के ADCP मनीष सोनकर ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि आलम चंद्र इसरानी वर्तमान समय में कानपुर के बर्रा स्थित किराये के मकान में रहते हैं और इसी क्षेत्र में बेकरी शॉप चलाते हैं. उन्होंने बताया, ‘वर्ष 1992 में आलम चंद्र लांग टर्म वीजा लेकर पाकिस्तान से भारत आए थे. तब से वह समय-समय पर वीजा अवधि बढ़वाते रहे. आलम चंद्र को 5 जुलाई 2013 को भारतीय नागरिकता दे दी गई.’
वहीं शिकायतकर्ता आलोक कुमार ने आलम चंद्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि आलम चंद्र मूल रूप से पाकिस्तानी हैं. वह वर्ष 1992 में लांग टर्म वीजा लेकर भारत आए और बिना भारतीय नागरिकता लिए धीरे-धीरे भारतीय मतदाता पहचान पत्र जैसे अहम दस्तावेज बनवा लिए. इतना ही नहीं आलम चंद्र ने पाकिस्तानी नागरिक होते हुए मूल भारतीय सुविधाओं को भी हासिल किया. आलोक कुमार का आरोप है, ‘दिनांक 29/11/2012 को आलम चंद्र ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर कानपुर कलेक्ट्रेट से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य लाइसेंस बेकरी संचालन हेतु जारी करा लिया.’
दूसरी तरफ आलम चंद्र इसरानी अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहते हैं, ‘हम 1992 में पाकिस्तानी मुसलमानों से आजिज आकर लांग टर्म वीजा पर परिवार सहित भारत आ गए थे. हमने कोई अपराध नहीं किया है. मेरा वोटर आईडी प्रशासनिक गलती से बन गया था. मुझे वर्ष 2013 में भारतीय नागरिकता मिली है. परिवार के अन्य सदस्यों (दोनों पुत्र) को भी नागरिकता मिली है.’
हालांकि पेशे से वकील आलोग कुमार का आरोप है कि ‘आलम चंद्र इसरानी ने वर्ष 2012 में कानपुर कलेक्ट्रेट से बेकरी शॉप संचालन हेतु खाद्य लाइसेंस बनवाया था, जबकि इस दौरान वह भारतीय नागरिक नहीं था. जाहिर सी बात है कि खाद्य लाइसेंस बनवाने में वोटर आई डी इत्यादि दस्तावेजों का उपयोग किया गया जो कि संदेह हेतु काफ़ी है.’
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Tags: Fake Aadhar Card, Kanpur newsFIRST PUBLISHED : July 02, 2022, 14:20 IST