अब ग्रीन प्रोसेस से तैयार होगी चीनी लाखों लीटर पानी बचेगा सेहत के लिए भी फायदेमंद
अब ग्रीन प्रोसेस से तैयार होगी चीनी लाखों लीटर पानी बचेगा सेहत के लिए भी फायदेमंद
चीनी अब ग्रीन प्रोसेस तकनीक से तैयार की जाएगी. राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों ने इस नई तकनीक को विकसित किया है. जी हां, शुगर इंडस्ट्री में अब ग्रीन प्रोसेस का इस्तेमाल कर चीनी बनाई जाएगी, जिससे एक ओर जहां वातावरण दूषित होने से बचेगा, तो वहीं दूसरी ओर यह चीन सेहत के लिए फायदेमंद होगी.
रिपोर्ट – अखंड प्रताप सिंह
कानपुर. हर घर में इस्तेमाल होने वाली चीनी अब ग्रीन प्रोसेस तकनीक से तैयार की जाएगी.राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों ने इस नई तकनीक को विकसित किया है.जी हां, शुगर इंडस्ट्री में अब ग्रीन प्रोसेस का इस्तेमाल कर चीनी बनाई जाएगी.जिससे एक ओर जहां वातावरण दूषित होने से बचेगा, तो वहीं दूसरी ओर चीनी उत्पादन में बर्बाद होने वाले पानी की भी बचत होगी.
अभी तक जिस तकनीक से चीनी तैयार की जाती थी, उसमें पानी की बहुत ज्यादा बर्बादी होती थी. इसके अलावा इसके प्रोसेस में CO2 भी निकलता था, जो कहीं न कहीं वातावरण को नुकसान पहुंचाता था. साथ ही इस प्रोसेस में इस्तेमाल होने वाला फास्फोरस एसिड भी चीनी बनाने की लागत को बढ़ाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि एनएसआई ने जो ग्रीन प्रोसेस की तकनीकी को विकसित किया है. उसमें फास्फोरस एसिड का इस्तेमाल न कर CO2 के इस्तेमाल से ही चीनी बनाई जाएगी. जिससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के साथ ही इस तकनीक से पानी की भी भारी बचत होगी. महाराष्ट्र कर्नाटक में हुआ सफल प्रशिक्षण
ग्रीन प्रोसेस से चीनी बनाने का सफल प्रशिक्षण देश में दो जगह संपन्न हुआ है, जिसमें महाराष्ट्र व कर्नाटक की दो रिफाइनरी भी शामिल हैं. जहां पर ग्रीन प्रोसेस के जरिए चीनी तैयार की गई है. इस प्रोसेस में फास्फोरस एसिड के बजाय CO2 का ही इस्तेमाल किया गया है. इसके सफल प्रशिक्षण के बाद NSI का दावा है कि आने वाले सालों में देश की सभी चीनी की रिफाइनरी में ग्रीन प्रोसेस के तहत ही चीनी बनाई जाएगी.जो सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. स्टीम का भी होगा कम इस्तेमाल
एनएसआई के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने न्यूज़ 18 से विशेष बातचीत में बताया कि अभी जिस प्रोसेस से चीनी तैयार की जाती है, उसमें 100 टन गन्ने की पेराई में 40 टन स्टीम की खपत होती है, लेकिन इस ग्रीन प्रोसेस के इस्तेमाल से अब स्टीम में भी काफी बचत होगी. अब इस प्रोजेक्ट से सिर्फ 12 से 13 टन स्टीम का उपयोग कर चीनी बनाई जा सकेगी. उधर जब गन्ने से रस निकालकर चीनी बनाई जाती थी तो उस प्रोसेस में लाखों लीटर पानी की खपत होती थी. लेकिन इस ग्रीन प्रोसेस में पानी भी ना के बराबर लगेगा. कहा जाता है कि गन्ने की खेती में सबसे ज्यादा पानी लगता है, ऐसे में अब चीनी बनाने में लाखों लीटर पानी की बचत भी होगी. बचने वाला पानी भी वापस सोसाइटी को दिया जाएगा जो लोगों के इस्तेमाल में भी काम आ सकेगा.
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Tags: Kanpur news, SugarFIRST PUBLISHED : June 25, 2022, 20:31 IST