देश के मुस्लिम चीफ जस्टिस शादी की जैन धर्म में अंतिम संस्कार हिंदू तरीके से
देश के मुस्लिम चीफ जस्टिस शादी की जैन धर्म में अंतिम संस्कार हिंदू तरीके से
देश के पहले मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह थे, जिन्होंने लंदन से कानून की पढ़ाई की थी, उन्होंने 43 वर्ष की उम्र जैन धर्म की लड़की से लव मैरिज की.
हाइलाइट्स उन्होंने प्रण किया था कि वह ताजिंदगी शादी नहीं करेंगे फिर मुस्लिम जज को जैन लड़की से प्यार हो गया 43 साल की उम्र में रचाई थी फिर शादी
भारत के पहले मुस्लिम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मोहम्मद हिदायतुल्लाह थे. हालांकि वह मुस्लिम परिवार से थे लेकिन उन्होंने 5 साल के प्यार के बाद एक हिंदू लड़की से शादी की. बखूबी उसे जिंदगीभर निभाया. फिर जब उनका निधन हुआ तो उनकी इच्छा के अनुरुप में उनका अंतिम संस्कार हिंदू परंपराओं से किया गया.
ये अपने आपमें ऐसा उदाहरण है, जो शायद ही तलाशने पर मिले. वह 1968 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. वह ऐसे पहले सीजेआई भी थे, जो देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. ये भी पहली बार हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया. इसके लिए संसद की बैठक में एक प्रस्ताव पेश हुआ था, क्योंकि उससे पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों की गैरमौजूदगी में सीजेआई को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाने की व्यवस्था नहीं थी. वैसे वह पूरे एक कार्यकाल भारत के उप राष्ट्रपति भी रहे.
दाह संस्कार किया गया
उनका निधन 18 सितंबर 1992 को मुंबई में हुआ. तब उन्हें दफनाया नहीं गया, जैसा मुस्लिम रीतिरिवाजों के अनुसार किया जाता है बल्कि उनका दाह संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार हिंदू परंपराओं के अनुसार ही हुआ. ऐसा क्यों हुआ, ये हम आपको आगे बताएंगे.
शादी नहीं करने का प्रण कर रखा था
उससे पहले ये बताते हैं कि उन्होंने अगर शादी नहीं करने का प्रण किया हुआ था तो कैसे एक हिंदु युवती के लिए उन्होंने ये प्रतिज्ञा तोड़कर 43 वर्ष की उम्र में शादी रचाई.
फिर 43 साल की उम्र जैन युवती से शादी रचाई
ये उनकी लव मैरिज करीब पांच साल के प्यार के बाद हुई. माना जाता है कि जिस युवती से उनकी शादी हुई, वह नागपुर में तब कानून की छात्रा थीं, जब वह वहां कानून के बहुत लोकप्रिय प्रोफेसर थे. बहुत दिलचस्प और मनोरंजन अंदाज में स्टूडेंट्स को पढ़ाया करते थे. उनके छात्रों में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव भी थे.
लव मैरिज के समय वह हाईकोर्ट में जज थे
बताते हैं पुष्पा उनकी स्टूडेंट थीं. जैन परिवार से ताल्लुक रखती थीं. बहुत संपन्न घर से ताल्लुक रखती थीं. आजादी से पहले दोनों के बीच प्यार शुरू हुआ. कई साल चलने के बाद उन्होंने शादी की. ये जाहिर है कि दोनों के धर्म अलग थे. लिहाजा उन्हें अपने परिवारों को रजामंद करने में समय लगा होगा. और खुद हिदायतुल्ला को अपनी ये प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ी होगी कि वह आजीवन कुंवारे ही रहेंगे.
ये नागपुर की चर्चित शादी थी
ये शादी तब नागपुर में काफी चर्चित भी थी. क्योंकि जब ये शादी 1948 में हुई, तब तक हिदायतुल्लाह नागपुर हाईकोर्ट में जज बन चुके थे. उनकी पत्नी के पिता ए. एन. शाह अखिल भारतीय इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल थे.
हिंदू धर्म की गहरी समझ थी
बेशक हिदायतुल्ला मुस्लिम परिवार से थे लेकिन उनकी सोच और कार्यशैली धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित थी. उनके जीवन और कामकाज में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का खासा असर था, जिसमें हिंदू धर्म और उसकी शिक्षाओं के प्रति एक गहरी समझ और सम्मान भी शामिल था.
क्या थी इसकी वजह
शायद इसकी वजह उनकी पुष्पा शाह से अंतरधार्मिक शादी भी थी. फिर उनकी परवरिश भी इस तरह हुई थी कि घर में तमाम हिंदू रीति-रिवाज माने जाते थे. इसने उनकी परवरिश पर काफी असर डाला. शादी के बाद उनके घर में हिंदू और मुस्लिम दोनों तरह के त्योहारों और परंपराओं का पालन किया जाता था.
गीता, वेद और उपनिषदों का अध्ययन
हिदायतुल्लाह का अध्ययन न केवल इस्लामिक बल्कि हिंदू और भारतीय परंपराओं में भी गहन था. उन्होंने भारतीय ग्रंथों, खासकर गीता, वेद और उपनिषदों के संदर्भों का अध्ययन किया था. उनके कई निर्णय भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप थे. उन्होंने हमेशा सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा.
हिंदू परंपराओं से प्रभावित थे
ये कहना उचित होगा कि हिदायतुल्लाह भारतीय संस्कृति और उसके विविध पहलुओं, जिनमें हिंदू परंपराएं भी शामिल हैं, से प्रभावित थे. उनके जीवन में “हिंदुत्व” एक धार्मिक भावना के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत पहलू के रूप में मौजूद था. उनके परिवार ने भी उनकी इस इच्छा का सम्मान किया.
परिवार ने उनकी इच्छा का पालन किया
हिंदू अंतिम संस्कार के लिए एम. हिदायतुल्लाह के परिवार और दोस्तों की प्रतिक्रियाएं अनुकूल थीं. परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों ने उनकी इच्छाओं को समझा और उनका सम्मान किया.
हिदायतुल्लाह ने अपनी जीवनी ‘माई ओन बॉसवैल’ भी लिखी जो बेहद दिलचस्प भाषा में थी. ये किताब एक सामान्य व्यक्ति से लेकर वकील तक के लिए काफी दिलचस्प और जानकारियां देने वाली है.
Tags: Chief Justice, Chief Justice of India, Love Story, Muslim, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed