Pitru Paksha 2022: झांसी के गुरुद्वारे में रखी अस्थियां को अपनों का इंतजार जानें पूरा मामला
Pitru Paksha 2022: झांसी के गुरुद्वारे में रखी अस्थियां को अपनों का इंतजार जानें पूरा मामला
Pitru Paksha 2022: इस समय पितृपक्ष चल रहा है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण करते हैं, लेकिन झांसी के सीपरी बाजार में बने गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा की देखरेख में कई अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है, लेकिन वह सालों से अपनों का इंतजार कर रही हैं.
रिपोर्ट:शाश्वत सिंह
झांसी. पितृपक्ष में जहां एक ओर लोग अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण करते हैं, तो वहीं झांसी में कुछ अस्थियां ऐसी भी हैं जो आज भी अपनों का इंतजार कर रही हैं. झांसी के सीपरी बाजार में बने गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा की देखरेख में कई अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है जिन्हें लेने के लिए कोई नहीं आता.1935 में बने इस गुरुद्वारे में ऐसी अस्थियों के लिए एक विशेष कमरा बनाया गया है. लोग अपने परिजनों की अस्थियां यहां रख जाते हैं. कुछ लोग अस्थियों को वापस भी ले जाते हैं, तो कुछ कभी लौट कर ही नहीं आते.
अस्थि संचय कक्ष का प्रबंधन गुरुद्वारा समिति द्वारा किया जाता है. इस समिति के सदस्य मोहन सिंह भुसारी ने बताया कि दाह संस्कार के बाद अस्थियों को एकत्रित कर उन्हें नदी में विसर्जित करने का नियम है. वहीं, जो लोग इस काम को तुरंत नहीं कर पाते वह अपने घर के बाहर या किसी पेड़ पर अस्थियों को एक थैले या मटके में बांधकर टांग देते हैं. कुछ लोग अस्थियों को लाकर इस कक्ष में रख देते हैं. अधिकतर लोग इन अस्थियों को कुछ समय बाद ले जाते हैं, लेकिन कुछ लोग कई सालों से अस्थियां लेने नहीं आए हैं.
कोरोना काल में भर गया कक्ष
मोहन सिंह ने बताया कि कोरोना काल में यहां सबसे अधिक अस्थियां जमा हुईं थी. कई बार तो जो व्यक्ति अपने परिवार के किसी सदस्य की अस्थियां कक्ष में रखकर गए, लेकिन कुछ समय बाद उनका भी कोरोना की वजह से देहांत हो गया था. इस कारण भी यहां अस्थियां एकत्रित होने लगी. इसके अलावा कुछ लोग विदेश चले गए और परिवारजनों की अस्थियां विसर्जित करने के लिए लौटे ही नहीं.
जाति धर्म का नहीं है बंधन
गुरुद्वारे का प्रबंधन देखने वाले दिलजीत कौर ने बताया कि लोग तो जिंदा रिश्तेदारों और मां-बाप की परवाह नहीं करते तो मरने के बाद कौन ही पूछेगा. उन्होंने बताया कि अगर दो-तीन साल तक कोई अस्थियां लेने नहीं आता है तो गुरुद्वारा समिति द्वारा उन्हें बेतवा नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. अस्थियां रखने का कोई शुल्क भी नहीं लगता. जिस व्यक्ति को अस्थियां रखनी होती हैं वह गुरुद्वारा कमेटी से संपर्क करता है. समिति के किसी सदस्य की मौजूदगी में ताला खोलकर अस्थियां उस कमरे में रख दी जाती हैं. किसी भी धर्म या जाति के व्यक्ति की अस्थियां यहां रखी जाती हैं. उसकी कोई लिखा पढ़ी नहीं होती है.
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Tags: Jhansi news, Pitru PakshaFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 17:15 IST