हाथरस हादसा: पूर्व DGP का बड़ा बयान कहा- ये अधिकारी जवाबदेही से बच नहीं सकते
हाथरस हादसा: पूर्व DGP का बड़ा बयान कहा- ये अधिकारी जवाबदेही से बच नहीं सकते
हादरस हादसा को लेकर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इस बीच योगी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे ओपी सिंह ने इस घटना को लेकर बड़ा बयान दिया है. न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में ओ पी सिंह ने कहा कि इस घटना ने एडमिनिस्ट्रेटिव और पुलिस तंत्र के लेक ऑफ प्लानिंग को उजागर कर दिया है.
हाथरस: भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के सत्संग में मचे भगदड़ में अब मरने वालों की संख्या 121 हो गई है. इस घटना को लेकर लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हाथरस सहित आस-पास के कई जिलों में मची चीख-पुकार के बीच योगी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान डीजीपी रहे ओ पी सिंह ने बड़ा बयान दिया है. न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में ओपी सिंह ने कहा कि इस घटना ने एडमिनिस्ट्रेटिव और पुलिस तंत्र के लेक ऑफ प्लानिंग को उजागर कर दिया है. इतने बड़े पैमाने पर मौतों के लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है कि प्रशासन ने प्लानिंग पर काम नहीं किया. इसी का परिणाम है यह घटना. सिंह कहते हैं, ‘हाथरस की घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण, निंदनीय और कई प्रश्नों को जन्म देती है. सबसे पहले प्रशासनिक नजरिए हमको यह पता लगाना होगा कि ऐसी क्या चूक हुई है, जिसे इन घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने दें. क्रीमिनल एलिमेंट की बात करते हैं तो इसमें कई सारे स्टेक होल्डर चाहे वह व्यवास्थपक हों, पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन की भी जांच करने की जरूरत है. इस घटना की गहराई तक जाने के लिए प्रशासनिक चूक की पहचान करनी जरूरी है.
यूपी के पूर्व डीजीपी ने हाथरस हादसा दिया बड़ा बयान
सिंह आगे कहते हैं, उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा प्रदेश है. यहां हर साल 70 हजार से ज्यादा धार्मिक आयजन होते हैं. हर छठे साल प्रयागराज में कुंभ मेला होता है. इस मेले में करोड़ों लोग आते हैं. हाल के वर्षों में इस तरह की एक भी घटना नहीं हुई है. ऐसे में हाथरस में कैसे घटना गई? देखिए क्राउड मैनेजमेंट एक बड़ा विषय के पुलिस के लिए और सरकार के लिए भी. आयोजक जब इन आयोजनों के लिए परमिशन लेते हैं तो जाहिर है कि हमें रिस्क एनालेसिस और क्राउड मैनेजमेंट करने की जरूरत है. हमारा इवेंट मैनेजमेंट आयोजकों के तरह से क्या रहेगा? प्रशासन की तरह से क्या-क्या बंदोबस्त किए जाएंगे? भीड़ में आने वाले लोगों के लिए क्या फैसिलिटी देंगे? क्राउड डेनसिटी यानी भीड़ का घनत्व पर भी हमारी प्लानिंग होनी चाहिए, जो हाथरस हादसा वाली जगह पर नहीं दिखी.
सिंह आगे कहते हैं, क्राइड का साइंटिफिक मैनेजमेंट जरूरी है. पैनिक का क्या महत्व है, भीड़ का मुवमेंट क्या होनी चाहिए. 121 लोगों की मौत हुई है इसका क्या कारण रहा होगा. सरकार ने एडीजी जोन और कमिश्नर के नेतृत्व में एक कमिटी गठन कर दिया है. मुझे पूरा विश्वास है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से और क्रीमिनल इंटिटेंट से इन चीजों का गहराई से अध्ययन किया जाएगा ताकि भविष्य में होने वाले धार्मिक आयोजनों में यह दोबारा से घटना न घटे.
प्रशासन की तरफ से कहां हुई चूक
देखिए कुंभ जैसे आयोजनों को जब हम अच्छे से कर सकते हैं तो लाख-डेढ़ लाख की भीड़ में 121 जानें जाना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करती है. यह हमारे लिए चिंता का विषय है. देखिए किसी भी प्रकार के आयोजन के लिए प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य है. मान लीजिए क्रिकेट का मैच अगर होता है तो उसमें हजारों लाखों लोगों की भीड़ आती है. आयोजकों की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रशासन से अनुमति लें. प्रशासन तभी परमिशन देता है जब वह सभी एंगल से जैसे भीड़ कितना होगा? भीड़ के रुकने का स्थान क्या होगा? आवाजाही की सुविधा के साथ मौसम का हाल क्या होगा. बहुत सारी चीजें देखी जाती हैं. तब परिमिशन दिया जाता है. इसके लिए इंटेलिजेंस यूनिट एलआईयू हमारा है. वह पूरी जानकारी लेता है. हरेक थाने में इस तरह के आयोजन को ध्यान में रखते हुए एक इवेंट रजिस्टर होता है, जिसमें इस तरह के आयोजन में पहले कितना भीड़ जुटी थी और इस साल कितना जुटेगी इसका पूरी जानकारी रहती है. मुझे जानकारी मिली है कि तीन दिन से हाथरस में भीड़ जुट रही थी. ऐसे में जिला प्रशासन क्या कर रही थी?
भीड़ की अनुमति देने के सवाल पर ओपी सिंह कहते हैं, ‘देखिए भीड़ को अनुमति देने के लिए कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है. ये निर्भर करता है कि भीड़ कितनी है और उसका व्यक्तित्व कैसा है. विषय क्या है. भीड़ अगर एग्रेसिव नहीं है पीसफूल है यहां पर एक धार्मिक भीड़ है जहां पर लोग आते हैं अपनी श्रद्दा से आते हैं. यहां क्राउड मैनेजमेंट की पूरी रणनीति तय करनी चाहिए थी. अगर कोई घटना घटती है तो हेल्थ की व्यवस्था होनी चाहिए. खाने-पीने की क्या व्यवस्था थी, सपोर्ट करने की क्या व्यवस्था थी, आने-जाने का रूट क्या था, बाबा के जाने के वक्त क्या हम प्रोटोकोल देंगे ताकि भीड़ अचानक उनके पास न आए. इन सब चीजों की परिकल्पना डिस्ट्रिक एडिमिनिस्ट्रेशन और पुलिस एडिमिनिस्ट्रेशन को करनी चाहिए थी, जो शायद नहीं की गई. उसी के आधार पर पुलिस की तैनाती होनी चाहिए थी.
जवाबदेही तय होनी चाहिए
सिंह आगे कहते हैं, ‘जहां तक पुलिस की जवाबदेही का सवाल है पुलिस क्रीमिनल नेगलिजेंस या क्रिमिनल इंटेंट को देखता है कि आखिर क्या हुआ है? क्या कोई पार्टिकुलर आईडलॉजी की साजिश तो नहीं हो सकती है, जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है.
बाबा पर मामला दर्ज होने के सवाल पर सिंह कहते हैं, देखिए बाबा क्या थे, वह पुलिस में थे या उनका आचरण अच्छा था उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अगर इतनी जानें गईं हैं तो उसकी जवाबदेही से वह बच नहीं सकते. आपने देखा होगा कि बिहार के एक पूर्व डीजीपी भी प्रवचन देते हैं. प्रवचन देना या धार्मिक विश्लेषण करना गलत बात नहीं है. लेकिन, अगर बाबा ने क्रीमिनल इंटेट किया है तो जालसाजी किया है या इस तरह के आयोजन को किसी जालसाजी के तहत किया है तो वह आपराधिक कृत्य के दायरे में आएंगे.
पुलिस अधिकारी से कहां हुई चूक
पुलिस अधिकारियों के रवैये पर ओपी सिंह ने कहा है कि देखिए, कहा जा रहा है कि बाबा के जाने के बाद उनके चरणों के धूल को चूमने के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई. साल 1958 में नागा साधुओं के नहाने के दौरान भी भीड़ इसी तरह बेकाबू हो गई थी, जिसमें काफी जानमाल का नुकसान हुआ था. लेकिन, आपको एक पुलिस अधिकारी होने के नाते आपको प्लान करना चाहिए था. आप प्लानर हैं, आप एक पुलिस अधिकारी हैं आपको देखना चाहिए था इस तरह की घटना होगी तो कैसे काबू पाया जाए. आप सरकार के पार्ट हैं आपको विजुलाइज करना चाहिए था कि कौन सी स्थिति होगी, जिसमें भीड़ बेकाबू हो सकती है. इस हिसाब से आप प्लान तैयार करते. देखिए पुलिसिंग केवल पुलिस को डिप्लामेंट करने के लिए नहीं है, बल्कि आपको मैनेज करना चाहिए था. यह ठीक नहीं कि हमने 40 पुलिस लगा दिया और काम खत्म हो गया. इस घटना में कई तरह की चूक की बात आ रही है. जांच कमिटी बनी है मैं समझता हूं कि मुख्यमंत्री जी इस पर सख्त एक्शन लेंगे.
ओपी सिंह कहते हैं, ‘इस तरह का घटनाएं हमारे देश में कई बार होती रही हैं. हमको क्राउड मैनेजमेंट को प्राइवेटाइज करने की जरूरत है. इसे हम राइट्स की संज्ञा नहीं देते हैं. इसमें दो समुदायों के बीच कोई राइट्स नहीं हुआ है. सच्चाई यही है कि इस घटना में निर्दोष जानें गई हैं. खासकर महिलाओं और बच्चों की जानें गई हैं. बूढ़े-बुजुर्गों की जानें गई हैं. वो जानें हमारे लिए बेशकीमती हैं. हम नहीं चाहेंगे कि किसी की जान जाएं.
Tags: DGP UP, Hathras news, Hathras News Today, Hathras Police, UP newsFIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed