उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस की आबादी पर जलवायु परिवर्तन से बड़ा संकट
उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस की आबादी पर जलवायु परिवर्तन से बड़ा संकट
देश में सारस की 6 प्रजातियां है. इनमें से 3 प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन,डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन है. भारतीय उपमहादीप में सारस पक्षियों की अनुमानित संख्या 8 हजार है,इनमें अकेले इटावा में 2500 सारस हैं.
इटावा. उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस की आबादी पर जलवायु परिवर्तन से बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. जलवायु परिवर्तन का असर यह देखा जा रहा है कि जुलाई में होने वाला सारस पक्षी का प्रजनन नवंबर माह तक आ पहुंचा है.
इस बदली हुई तस्वीर को देख कर के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ.राजीव चौहान सारस की आबादी के 50 फ़ीसदी घटने की आशंका जता रहे हैं. यह स्थिति बेहद खतरनाक मानी जा रही है. इटावा जिले में वैसे तो समानता हार और बड़ी तादाद में सारस और उनके छोटे-छोटे बच्चे इस समय नजर आया करते थे, लेकिन आज जलवायु परिवर्तन की वजह से सारस पक्षी की नेस्टिंग खिसक के जुलाई से नवंबर तक आ पहुंची है.
इटावा मैनपुरी सारस पक्षी की आबादी का सबसे बड़ा आशियाना माना जाता है, लेकिन बदले हुए हालात ऐसा बयान करते हैं कि सारस पक्षी विलुप्त प्राणी के श्रेणी में शुमार हो सकता है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के इटावा में अमर प्रेम के प्रतीक सारस पक्षी का प्रजनन जलवायु परिवर्तन के कारण बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है. सारस पक्षी की गणना करने वाली पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के चेयरमैन डा.राजीव चौहान ने कहा कि मानसून की लेट लतीफी के चलते सारस पक्षी के प्रजनन के बुरी तरह से प्रभावित होने का अंदेशा है. सामान्यता जुलाई में सारस के अंडे धान के खेतों में दिखने लगते थे, लेकिन इस दफा यह नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो और उनकी टीम दो महीने के सर्वे करने में जुटी हुई है. जहां केवल तीन या चार नेस्ट ही मिले हैं. उनकी संस्था वन विभाग के सहयोग से पिछले 20 साल से सारस गणना का काम करने में जुटे हुए हैं, लेकिन पहली दफा ऐसे हालत नजर आते हुए दिख रहे हैं. इस पहले इस अवधि मे कम से कम 60 नेस्ट देखने को मिल जाया करते थे, पिछले साल 45 के आसपास नेस्ट मिले थे, इस दफा अभी तक मात्र 4 या 5 ही नेस्ट मिले हैं. उनका उम्मीद जतायी कि सितंबर मध्य तक हालात कुछ बेहतर हो सकते हैं.
कहां-कहां मिलता है सारस
देश में सारस की कुल आबादी की 70 फीसदी यूपी में निवास करती है. इसके साथ ही देश के जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में भी कहीं-कहीं यह निवास करते हैं. भारत के अलावा सारस नेपाल, पाकिस्तान, चाइना, म्यानमार, कम्बोडिया, थाईलैंड, वियतनाम व आस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं. सैफई के निकट समान कटरा वेटलेंड क्षेत्र पर सारस विश्व में सबसे अधिक संख्या में पाए जाते हैं. यही कारण है कि सैफई में विश्व स्तर की कान्फ्रेंस आयोजित की गई. उत्तर प्रदेश का इटावा जिला सारस पक्षी के सबसे बडे आशियाने के तौर पर देश दुनिया के मानचित्र पर काबिज है. वर्ष 2002 में इटावा के सभी तालाबों, झाबरों को ऊसर सुघार योजना के तहत समाप्त किया जा रहा था, तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वाइल्ड ट्रस्ट आफॅ इडिंया की याचिका पर परियोजना से तालाबों को होने वाले नुकसानों को रोकने की पहल की. किसानों का मित्र माना जाने वाले सारस का वजन औसतन 12 किग्रा, लम्बाई 1.6 मीटर तथा जीवनकाल 35 से 80 वर्ष तक होता है. सारस वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूची में दर्ज हैं.
देश में सारस की 6 प्रजातियां है. इनमें से 3 प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन,डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन है. भारतीय उपमहादीप में सारस पक्षियों की अनुमानित संख्या 8 हजार है,इनमें अकेले इटावा में 2500 सारस हैं. दल-दली क्षेत्रों में पाई जाने वाली घास के टयूबर्स, कृषि खाद्यान्न, छोटी मछलियां, कीड़े-मकोड़े, छोटे सांप, घोघें, सीपी आदि भोजन के तौर पर सारसों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है.
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Tags: Bird Expert, Etawah news today, Up news live todayFIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 10:04 IST