लोकसभा उपचुनावः आखिर क्यों हारे अखिलेश पुरानी जीत का नशा या पढ़िए सपा के गिरते वोट बैंक का पूरा पोस्टमॉर्टम

विधानसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ में 10 सीटों पर कब्जा जमाने का नशा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठों पर से उतरा नहीं. इसीलिए लोकसभा उपचुनाव के दौरान वोटों के गिरते ग्राफ का डैमेज कंट्रोल करने की जगह बस विधानसभा चुनावों के जीत का जश्न ही होता दिखा. हालांकि धर्मेंद्र यादव की कोशिश में कोई कमी न दिखी.

लोकसभा उपचुनावः आखिर क्यों हारे अखिलेश पुरानी जीत का नशा या पढ़िए सपा के गिरते वोट बैंक का पूरा पोस्टमॉर्टम
आजमगढ़. रणनीति अचूक हो तो कोई भी लक्ष्य भेदा जा सकता है. सपा के ‘गढ़’ को भेदने के लिए भाजपा ने कुछ ऐसी ही तैयारी कर रखी थी, जिसे सपाई दिग्गज भांप न पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के प्रयास में कोई कमी नहीं थी, लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने के बाद संगठन की जमीनी स्तर पर सक्रियता में ढिलाई उन पर भारी पड़ गई. 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ तो सपा जिले की सभी 10 सीटों पर चुनाव जीत गई. मंथन के बाद भाजपा को इस बात का सुकून हुआ कि उनका वोट फीसद 10 से बढ़कर 29 हुआ है. पार्टी अधिकांश सीटों पर तीसरे, चौथे से दूसरे स्थान पर पहुंच गई. उपचुनाव करीब आया तो दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को शीर्ष नेतृत्व ने तैयारी करने का संकेत दे दिया. उसके पीछे सपा-बसपा गठबंधन में निरहुआ का वर्ष 2019 में 3,61,704 वोट पाना निश्चित अहम कारण रहा होगा. वर्ष 2014 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से कांटे की संघर्ष में भाजपाई दिग्गज रमाकांत यादव को 2,77,102 वोट मिले थे. वह आजमगढ़ में भाजपा का बढ़ता ग्राफ ही था, जिससे ठीक पांच साल बाद भाजपा प्रत्याशी रहे निरहुआ को 84,602 वोट ज्यादा मिले थे. हालांकि, वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 6,21,578 मत हासिल कर निरहुआ (3,61,704 मत) को हराया था. सपा के वरिष्ठ नेता आजमगढ़ में वोटों के गिरते ग्राफ पर मंथन कर डैमेज कंट्रोल करने के बजाय विधानसभा चुनाव जीतने के जश्न में डूब गए. इधर, उपचुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दो सभाओं में शिवपाल के खास सिपहसालार रामदर्शन यादव और लखनऊ छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे अभिषेक सिंह आशू को अपनी तरफ मोड़ लिया. सपा के संस्थापक सदस्य रहे रामदर्शन का सपा से मुंह मोड़ना पार्टी के लिए बड़ी क्षति थी. सीएम योगी चुनावी सभा करने आए तो हेलीपैड से रामदर्शन को साथ लेकर मंच तक न सिर्फ पहुंचे बल्कि उनकी तारीफ कर एक खास वर्ग को संदेश भी दिया. उन्होंने मंच से वादा किया कि दिनेश को जिताइए और आजमगढ़ के विकास और सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरे ऊपर छोड़ दीजिए. सपा की हार के लिए बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली की मजबूत लड़ाई भी कारण बनी. भाजपाई दिग्गज शुरू से ही उन्हें अपना प्रतिद्वंदी बताने का कोई मौका नहीं चूके, जो भाजपा की रणनीति का हिस्सा रही. दूसरी बात कि सपा विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर किसी स्पष्ट नीति पर नहीं चल पाई. नामांकन के अंतिम दिन धर्मेंद्र यादव ने पर्चा दाखिल किया था. इससे पहले तक सपा कार्यकर्ता प्रत्याशी को लेकर ही ऊहापोह में थे. इसका नुकसान उसे नुकसान उठाना पड़ा. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Assembly by election, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 27, 2022, 16:12 IST