अयोध्‍या: जानिए संत से लेकर जगतगुरु बनने तक की कहानी

महामंडलेश्वर के बाद प्रत्येक संप्रदाय के एक आचार्य होते हैं,जिनको जगद्गुरु कहा जाता है. राम दिनेश आचार्य बताते हैं कि जगतगुरु को पूरे विश्व का गुरु नहीं माना जाता है. दूसरी तरफ तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगत गुरु परमहंस आचार्य ने बताया कि संत परंपरा पूरे दुनिया में है.

अयोध्‍या: जानिए संत से लेकर जगतगुरु बनने तक की कहानी
रिपोर्ट: सर्वेश श्रीवास्तव अयोध्या. आज हम आपको बताएंगे संन्यासी कैसे बनें? साथ ही यह भी बताएंगे कि संन्यासी (संत) से लेकर जगतगुरु (Jagatguru) बनने तक के लिए कितनी कठिन राहों से होकर गुजरना पड़ता है. दरअसल हर किसी के जीवन में कोई न कोई समस्या जरूर होती है. फिर चाहे वह समस्या धन की हो या फिर परिवार की हो. इन सब से मुक्ति के लिए ही लोग अपने जीवन में संन्यास धारण करते हैं. संन्यासी बनना इतनी आसान बात नहीं है .इसके लिए मेहनत के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना जरूरी होता है. अगर आपके दिमाग में लालच, देश, दुनिया, परिवार, रिश्ता आदि की संभावनाएं रहेंगी तो आप कभी भी सन्यास नहीं धारण कर पाएंगे. कुछ लोग संन्यासी बनने के लिए कठिन तप और तपस्या करते हैं. पहाड़ों पर मठ, मंदिरों में बैठकर भगवान का जप करते हैं. वहीं जगतगुरु राम दिनेशाचार्य ने बताया कि संत एक विचारधारा है, जिसके लिए किसी संप्रदाय में संत के रूप में दीक्षित होने का प्रावधान है जैसे रामानंदी वैष्णव परंपरा में पंच संस्कार होते हैं. पंच संस्कार करने के बाद ही व्यक्ति संत आश्रम में प्रवेश करता है. संत बनने के बाद जब वह कुंभ में जाता है तब अखाड़े में उसको महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है. तभी वह मंडल का महामंडलेश्वर बन जाता है. महामंडलेश्वर के बाद प्रत्येक संप्रदाय के एक आचार्य होते हैं, जिनको जगद्गुरु कहा जाता है.राम दिनेश आचार्य बताते हैं कि जगतगुरु को पूरे विश्व का गुरु नहीं माना जाता है.दूसरी तरफ तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगत गुरु परमहंस आचार्य ने बताया कि संत परंपरा पूरे दुनिया में केवल भारत में ही है.हम “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की कामना करते हैं कि सब सुखी हों पूरा विश्व अपना परिवार है. यह सिर्फ सनातन धर्म में है और सनातन धर्म को मानने वाले अधिकतम भारत में ही हैं. हमारा परिवार सीमित नहीं होता पूरा विश्व हमारा परिवार है. जब उस व्यक्ति के मन में पूरे विश्व के प्रति सद्भावना जागृत होती हैं और वह जनसेवा की दृष्टि से आगे बढ़ता है, तब जीवन में वह संन्यास ग्रहण कर लेता है. जानिए कैसे बनते हैं जगतगुरु राम दिनेश आचार्य ने बताया कि हमारे यहां जगतगुरुशाश्वत भगवान श्री कृष्ण “कृष्णम वंदे जगदगुरूम” कहा गया है. जो आचार्य होते हैं उनके ऊपर जगतगुरु का पद सुशोभित होता है. जैसे पुत्र के साथ पिता का नाम जुड़ता है वैसे ही हमारे यहां गुरु को ही पिता माना जाता है. हमारे यहां जगत गुरु रामानंद जी महाराज को माना जाता है.उनकी पदवी को जोड़कर अपना नाम उनके साथ जोड़ा जाता है. सुयोग्य व्यक्ति को,ब्राम्हण को, ज्ञानी को जगतगुरु के पद पर आसीन किया जाता है तीन अखाड़े मिलकर जिसमें निर्माणी, निर्मोही और दिगंबर अखाड़े कुंभ में जगतगुरु का चुनाव करते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Ayodhya NewsFIRST PUBLISHED : July 19, 2022, 12:35 IST