रेयर बिमारी से पीड़ित यह मासूम 14 करोड़ में आती है दवा लोगों से मदद की गुहार
रेयर बिमारी से पीड़ित यह मासूम 14 करोड़ में आती है दवा लोगों से मदद की गुहार
पंजाब की 6 महीने की एख बच्ची इबादत कौर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-1 बिमारी से पीड़ित है. इसका इलाज पंजाब एम्स में चल रहा है. परिवार ने लोगों से मदद की गुहार लगाई है. इसके इलाज की इंजेक्शन की कीमत लगभग 14.5 करोड़ है.
चंडीगढ़: पंजाब के गुरजीत कौर और सुखपाल सिंह पर पहाड़ गिरने से कम नहीं रहा होगा वह दिन, जब पता चला होगा कि उनकी 6 महीने की मासूम बेटी किसी दुर्लभ बिमारी से पीड़ित है. दरअसल, 6 माह की इबादत कौर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप 1 से पीड़ित है. यह एक गंभीर जन्मजात बीमारी है, जो बचपन में प्रकट होती है. एसएमए टाइप 1 वाले बच्चे बिना किसी के सहारे के बैठ नहीं सकते हैं और सांस लेने, खाने और निवाला निगलने में काफी दिक्कत होती है. इस बिमारी के लक्षण आमतौर पर जन्म के समय या जीवन के पहले छह महीनों में दिखाई देते हैं, और इससे पीड़ित बच्चे 2 वर्ष की आयु से अधिक जीवित नहीं रह पाते हैं.
इबादत का फिलहाल पंजाब के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने बताया कि इसके इलाज में तकरीबन 14.5 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है, जो उनके परिवार की क्षमता से कई गुना ज्यादा है. बच्ची का परिवार इम्पैक्ट गुरु (Impact Guru Foundation), क्राउड फंडिग ऑर्गनाइजेशन से मिल कर पैसे की व्यवस्था कर रहे हैं. परिवार ने लोगों से मदद की गुहार लगाई है. बच्ची के माता-पिता ने कहा कि अगर समय से पैसों का व्यवस्था नहीं हो पाया तो इबादत 6 महीने से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाएगी.
सूत्रों से मिले जानकारी के मुताबिक, परिवार ने अपनी मासूम को बचाने के लिए सारे संपत्ति को बेंच दिया है. अब लोगों दया कि भीख मांग रही है. लोगों के मदद के लिए यूपीआई आईडी शेयर की है- ibadat2@yesbankltd. इस पर कोई भी इच्छुक शख्स अपना सहयोग राशि भेज सकता है. इबादत के पिता सुखपाल ने कहा, ‘कोई भी मदद छोटा या बड़ा नहीं है, आपका हर सहयोग इबादत के लिए महत्वपूर्ण है. आपकी मदद के बिना इस विनाशकारी बीमारी से नहीं लड़ सकते हैं.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक वंशानुगत बीमारियों है. इसमें सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कॉर्डिफेोलिया नर्वस सिस्टम और कंकाल की मांसपेशियों की गति को प्रभावित करता है. एसएमए में, आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की नसें जो मांसपेशियों की ताकत और गति को नियंत्रित करती हैं, टूट जाती हैं, जिससे आपका हिलना-डुलना भी बंद हो जाता है. फेमस साइंस्टिस्ट स्टिफन हॉकिंस भी इसी बिमारी से ग्रसित थे.
Tags: Genetic diseases, Punjab newsFIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 18:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed