अध्‍ययन का दावा किडनी की दवा से जलोदर का उपचार भी संभव

जर्नल आफ आयुर्वेदा एंड एंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज के मुताबिक तरल पदार्थ जमा होने के कारण पेट फूलने की बीमारी जलोदर (एसाइटिस) के उपचार में किडनी की दवा भी कारगर है. एक अध्‍ययन का दावा है कि यह दवा पेट में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को मूत्र के जरिये बाहर निकालने में मददगार साबित होती है. साथ ही गुर्दे के स्वास्थ्य को भी बढ़ाती है.

अध्‍ययन का दावा किडनी की दवा से जलोदर का उपचार भी संभव
नई दिल्ली. तरल पदार्थ जमा होने के कारण पेट फूलने की बीमारी जलोदर (एसाइटिस) के उपचार में किडनी की दवा भी कारगर है. एक अध्‍ययन का दावा है कि यह दवा पेट में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को मूत्र के जरिये बाहर निकालने में मददगार साबित होती है. साथ ही गुर्दे के स्वास्थ्य को भी बढ़ाती है. जर्नल आफ आयुर्वेदा एंड एंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित शोध रिपोर्ट कर्नाटक के अनुसार मैसूरू स्थित जेएसएस आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पीटल के सहायक प्रोफेसर कोमला ए, प्रोफेसर सिद्धेश अराध्यमठ तथा शोधकर्ता मल्लीनाथ आई. टी. ने मिलकर तैयार की है. ‌शोध के दौरान अस्पताल में भर्ती जलोदर रोगियों का आयुर्वेदिक फार्मूला नीरी-केएफटी से इलाज किया गया. शोधकर्ताओं ने मरीजों के इलाज के दौरान नियमित इस्तेमाल होने वाली दवाओं के अलावा एमिल फार्मास्युटिकल द्वारा लंबे शोध के बाद तैयार की गई गुर्दे के उपचार की दवा नीरी-केएफटी भी मरीजों को दी. शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके बेहद सकारात्मक फायदे दिखे. दवा ने न सिर्फ रोगियों में गुर्दे को क्षतिग्रस्त होने से बचाया बल्कि पेट में जमा तरल पदार्थ को बाहर निकालने में भी मदद की. इस आयुर्वेदिक दवा में पुनर्नवा, वरुण, सिगरु, सारिवा, कासनी,मकोय, शिरीष आदि औषधीय पादप शामिल किए गए हैं. किडनी रोगों में यह औषधियां काफी असरदार हैं. साथ ही इसके इस्तेमाल से डायलिसिस चक्र भी कम किए जा सकते हैं. शोध से पता चलता है, जलोदर में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के जरिये पेट में सुई चुभोकर तरल पदार्थ बाहर निकालने जैसे उपचार की जरूरत नहीं है. एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने कहा, नीरी केएफटी गुर्दों की कार्य क्षमता को बेहतर कर शरीर में एकत्रित अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में सक्षम है। अलग अलग चिकित्सीय अध्ययनों में यह वैज्ञानिक तौर पर साबित भी हुआ है। इसका सही मात्रा में प्रयोग रोगियों के लिए अत्यंत प्रभावी हो सकता है। जानकारी के अनुसार जलोदर में पेट की झिल्लीदार परतों के बीच तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं। इस बीमारी के मुख्य लक्षण पैर के निचले हिस्से में सूजन आना, भूख कम लगना, पेट फूलना, थकावट और सांस लेने में तकलीफ होना, वजन बढ़ना आदि शामिल है। लंबी अवधि में यह यकृत, गुर्दे तथा दिल को भी प्रभावित कर सकता है। ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : July 11, 2022, 13:38 IST