जिस कानून से परेशान हैं प्रशांत भूषण! अब उसको ही SC में कर दिया चैलेंज
जिस कानून से परेशान हैं प्रशांत भूषण! अब उसको ही SC में कर दिया चैलेंज
Prashant Bhushan News:प्रशांत भूषण ने भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2016 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है, जिसमें पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था. याचिका में कहा गया है याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6(2)(एफ) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया है कि किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को पासपोर्ट जारी/पुनः जारी नहीं किया जाएगा.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पासपोर्ट कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता और अदालत से ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ प्राप्त होने पर आरोपी को केवल एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को गर्मियों की छुट्टियों के बाद तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भ्यान की पीठ ने मामले को तब स्थगित कर दिया जब उसे सूचित किया गया कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण उपलब्ध नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों की छुट्टियां 20 मई से शुरू होंगी और अदालत 8 जुलाई को फिर से मामलों की सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले वकील प्रशांत भूषण की याचिका पर केंद्र और गाजियाबाद स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को नोटिस जारी किया था, जिन्हें विरोध प्रदर्शनों और ‘धरना’ में कथित रूप से शामिल होने के लिए उनके खिलाफ दर्ज कुछ एफआईआर के कारण केवल एक वर्ष की अवधि के लिए पासपोर्ट मिलता है.
भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2016 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है, जिसमें पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था. याचिका में कहा गया है याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6(2)(एफ) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया है कि किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को पासपोर्ट जारी/पुनः जारी नहीं किया जाएगा.
क्या है पासपोर्ट कानून?
पासपोर्ट कानून की धारा 6(2)(एफ) में व्यापक प्रतिबंध को 1993 में जारी एक अधिसूचना के माध्यम से आंशिक रूप से हटा दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि आवेदक संबंधित न्यायालय से एनओसी प्रस्तुत करता है तो पासपोर्ट जारी/पुनः जारी किया जा सकता है और यदि एनओसी में कोई अवधि का उल्लेख नहीं किया गया है, तो पासपोर्ट केवल एक वर्ष के लिए जारी/पुनः जारी किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने इस अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी.
भूषण के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संबंधित प्रावधान गंभीर और कम गंभीर अपराधों के बीच अंतर नहीं करता है और नए या नवीनीकृत पासपोर्ट प्राप्त करने में आरोपी पर समान प्रतिबंध लगाता है और यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
Tags: Prashant bhushan, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 13:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed