इतिहास से लेकर खेल और विज्ञान तक इन 5 म्यूजियम में छिपा है हर रहस्य का सच  

झांसी को अब म्यूजियम का शहर भी कहा जाने लगा है. यहां कई ऐसे म्यूजियम है जो बुंदेलखंड की इतिहास के साथ ही खेल का इतिहास और खनिज से जुड़े राज भी खोलता है. यह सभी म्यूजियम बेहद खास है.

इतिहास से लेकर खेल और विज्ञान तक इन 5 म्यूजियम में छिपा है हर रहस्य का सच  
रिपोर्ट- विशाल भटनागर मेरठ: दोपहर की दस मिनट की पावर नैप को अक्सर कई लोग हल्का मानते हैं लेकिन, आधुनिक विज्ञान और प्राचीन परंपराओं दोनों का मानना है कि यह छोटे समय की झपकी अद्भुत लाभ प्रदान कर सकती है. खास बात यह है कि एक तय सीमा को क्रॉस करने पर नुकसानदायक भी होता है. नेफ्रोलॉजी डॉक्टर संदीप गर्ग ने इसके पीछे का विज्ञान और आदिकाल से इसके कनेक्शन के आसान भाषा में समझाने का प्रयास किया है. क्या कहता है मॉडर्न साइंस डॉ संदीप गर्ग बताते हैं कि विज्ञान के अनुसार, पावर नैप, खासकर 10-20 मिनट की झपकी आपके शरीर और मस्तिष्क के लिए अत्यधिक फायदेमंद हो सकती है. नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, इतनी छोटी नींद आपके जागने के बाद ऊर्जा का संचार करती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाती है. इस नैप को “पावर नैप” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह बिना आपको गहरी नींद में ले गए भी आपकी उत्पादकता को दोगुना कर देती है. दरअसल नासा द्वारा किए गए एक अध्ययन में पायलटों और एस्ट्रोनॉट्स पर इसका परीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि 10 मिनट की पावर नैप उनके कार्य प्रदर्शन और सतर्कता में 34 फीसद तक सुधार करती है. इससे यह साबित होता है कि थोड़ी सी झपकी भी बहुत लाभकारी हो सकती है. प्राचीन परंपरा और आदिकाल का कनेक्शन आदिकाल से ही दोपहर की नींद को एक स्वस्थ आदत माना गया है. इसका उल्लेख मिलता है, जहां दिन के मध्य में थोड़ी देर आराम करना शरीर के दोषों को संतुलित करने के लिए फायदेमंद बताया गया है. भारतीय परंपराओं में खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग अक्सर दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी देर आराम करते थे. इससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता था. वहीं मिस्र, ग्रीक और रोमन सभ्यताओं में भी पावर नैप को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता था. यहां तक कि स्पेन और इटली जैसी जगहों पर “सीएस्टा” यानी दोपहर की नींद एक प्रमुख संस्कृति रही है, जो आज भी प्रचलित है. यह भी है जरूरी विशेषज्ञों के अनुसार, पावर नैप आपकी पूरी रात की नींद का विकल्प नहीं हो सकता लेकिन यह छोटी झपकी आपके मस्तिष्क को रिचार्ज करने, तनाव को कम करने और उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. डॉक्टर संदीप कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को बार-बार झपकी लग रही है तो वह उसके लिए नुकसानदायक भी हो सकती है. जो व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और रात के समय नींद अच्छे से लेते हैं तो ऐसे लोग अगर दोपहर के समय नींद लेते हैं तो उनको लिए यह काफी अच्छी रहती है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 14:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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