पोलियो के साथ जन्मा लड़का बना इंडियन क्रिकेट टीम का सितारा! जानिए संघर्ष की
पोलियो के साथ जन्मा लड़का बना इंडियन क्रिकेट टीम का सितारा! जानिए संघर्ष की
Indian Cricket: इंदौर के बृजेश द्विवेदी, पोलियो से प्रभावित होकर भी इंडियन क्रिकेट टीम फॉर फिजिकल चैलेंज्ड के आलराउंडर बने. संघर्ष, जुनून और मेहनत से उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया. जानें उनके संघर्ष की कहानी...
इंदौर. “मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं.” यही सोच रखते हैं इंदौर के बृजेश द्विवेदी. महज डेढ़ साल की उम्र में पोलियो का शिकार हुए बृजेश द्विवेदी आज इंडियन क्रिकेट टीम फॉर फिजिकल चैलेंज्ड के सबसे भरोसेमंद आलरांडर हैं. उनका बायां पैर कमजोर है उन्होंने अपनी इसी कमजोरी को मजबूती में बदला और टीम इंडिया तक का सफर तय कर लिया. वे टीम इंडिया के लिए अब एक दर्जन मैच खेल चुके हैं.
ब्रजेश द्विवेदी को चलने में हाथ का सहारा लेना पड़ता है लेकिन उनके हौसले कमजोर नहीं हैं. मां की मेहनत से आज पैरों पर खड़े हैं. क्रिकेट की दीवानगी है… यही अरमान लिए कि देश के लिए खेलना है. बृजेश बताते हैं कि पिता राज्य परिवहन में कंडक्टर रहे. क्रिकेट किट खरीदना जैसे सपना था, मगर प्लास्टिक बॉल से खेल लेते थे. मैं तो टूटे बैटों को जोड़कर, फटे पैड और ग्लव्स को सिलकर अभ्यास करता था.
2017 में इंडिया-बांग्लादेश सिरीज में खेले
बताते हैं कि 2003 से 2007 तक मध्य रेलवे की तरफ से खेलने का मौका मिला. उसी वक्त तमिलनाडु के खिलाफ एक मैच में 57 रन की पारी खेली. हालात बदले तो 2008 में प्राइवेट फाइनेंस कंपनी में करीब चार हजार रुपए पर नौकरी मिली. कोरोना के दौरान यूएई में प्रीमियर लीग में बतौर मुंबई आइडियल्स कप्तान रहा. साल 2014 में जब आईआईटी क्रिकेट टीम के लिए खेला तो पत्नी और आईआईटी के साथियों ने प्रोत्साहित किया. क्योंकि कुछ कारणवश मैंने खेलना छोड दिया था, लेकिन पत्नी ने कहा आपको प्रैक्टिस जारी रखनी चाहिए. उसी दिन से फिर से क्रिकेट से जुड़ा. मध्यप्रदेश में खेले गए विभिन्न मैचो में मेरे प्रदर्शन को देखकर साल 2017 में इंडिया-बांग्लादेश सीरीज में खेलने का मौका मिला.
बड़े भाई ने दी ट्रेनिंग
वे बताते हैं, संघर्ष हर इंसान की जिंदगी में आता है, लेकिन कोई निखर जाता है तो कोई बिखर जाता है. मैने कभी हार नही मानी.जब मैं मैदान पर जाता था तो लोग दया की नजर से देखते थे. कहते थे, पोलियो की बीमारी है फिर भी क्रिकेट खेलने आता है. मैंने इन पर ध्यान नहीं दिया. बड़े भाई के साथ मैदान पर जाता उन्हीं से मुझे बहुत कुछ टेक्निकल ट्रेनिंग मिली. पहले जो लोग मुझे उपेक्षा की नजर से देखते थे आज सम्मान करते हैं. मुझे लगता है लोगों को अपने काम से जवाब देना चाहिए, तब समाज की सोच और नजरे दोनों बदल जाएंगी. कहते हैं, जब मुझसे पूछा जाता है, आपको क्रिकेट खेलने में क्या परेशानी आती है तो हंसकर जवाब देते है, मैं हर परेशानी को पीछे छोड़ आया हूं.
नेपाल के खिलाफ पहला टेस्ट खेला
2023 में भारत की दिव्यांग क्रिकेट टीम का नेतृत्व करते हुए नेपाल के खिलाफ पहला ऐतिहासिक टेस्ट खेला और कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में देश का प्रतिनिधित्व किया. मध्य प्रदेश में 250 से अधिक दिव्यांग क्रिकेटरों को तैयार करने और राज्य स्तरीय प्रीमियर लीग आयोजित करने जैसे उनके प्रयासों ने दिव्यांग खेलों को नई पहचान दी.
Tags: BCCI Cricket, Cricket news, Indore news, Local18, Madhya pradesh newsFIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 21:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed