सेल बढ़ाने के लिए डोलो ने दिए 1000 करोड़ के गिफ्ट! सुप्रीम कोर्ट जज बोले- मुझे भी लेने को कहा था

सुप्रीम कोर्ट में फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने कहा कि डोलो ने डॉक्टरों को गिफ्ट देने में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया. जिससे वे दवा की सेल को बढ़ावा दें. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड में उनको भी ये दवा लेने को कहा गया था.

सेल बढ़ाने के लिए डोलो ने दिए 1000 करोड़ के गिफ्ट! सुप्रीम कोर्ट जज बोले- मुझे भी लेने को कहा था
हाइलाइट्समौजूदा नियमों के कारण फल-फूल रहा फार्मा कंपनियों का अनैतिक व्यवहार फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने की फार्मा कंपनियों की जवाबदेही की मांग सुप्रीम कोर्ट में दावा- डोलो ने गिफ्ट देने में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया नई दिल्ली. अपनी बनाई दवाएं लिखने के लिए राजी करने के लिए फार्मा कंपनियां लंबे समय से डॉक्टरों के गिफ्ट देती आ रही हैं. लेकिन अब ये मामला इतना बढ़ गया है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही एक याचिका में कहा गया है कि गिफ्ट देने वाली फार्मा कंपनियों को अब इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. याचिका में उदाहरण के लिए बुखार के लिए उपयोग होने वाली एक टैबलेट डोलो-650  का हवाला दिया गया और कहा गया है कि इसको बनाने वाली कंपनी ने केवल फ्री गिफ्ट में 1000 करोड़ रुपये खर्च किया है. एनडीटीवी डॉटकॉम की एक खबर के मुताबिक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इसे ‘गंभीर मामला’ बताया और केंद्र सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘ऐसी बात सुनना अच्छा नहीं लगता है. यहां तक ​​कि मुझे भी वही दवा लेने के लिए कहा गया था, जब मुझे कोविड था. यह एक गंभीर मामला है.’ सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दायर की थी. फेडरेशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने कहा कि डोलो ने डॉक्टरों को गिफ्ट देने में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया. जिससे वे दवा की सेल को बढ़ावा दें. याचिका में कहा गया है कि इन तरीकों से न केवल दवाओं का ज्यादा उपयोग होता है, बल्कि यह रोगियों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकता है. इस तरह का भ्रष्टाचार बाजार में महंगी या बेकार दवाओं की खपत को भी बढ़ाता है. याचिका में कहा गया है कि मौजूदा नियमों की स्वैच्छिक प्रकृति के कारण फार्मा कंपनियों का अनैतिक व्यवहार फल-फूल रहा है. यहां तक ​​​​कि कोविड महामारी के दौरान भी ऐसे कई मामले सामने आए थे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला: रजामंदी से बने संबंध में पार्टनर पर नहीं लगा सकते रेप का आरोप याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया गया है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ एक निगरानी तंत्र बना करके फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस की समान संहिता को असरदार ढंग से लागू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इससे पहले केंद्र को नोटिस जारी किया था. जबकि केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि इस मामले में प्रतिक्रिया लगभग तैयार है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 29 सितंबर को फिर से सुनवाई करेगा. गौरतलब है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड या सीबीडीटी ने बेंगलुरु स्थित दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड के नौ राज्यों में 36 परिसरों पर छापेमारी करने के बाद कहा था कि उसने 300 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Pharma Industry, Pharmaceutical company, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : August 19, 2022, 08:47 IST