100 साल पुराना चमत्कारी मंदिरजहां मौजूद है हनुमान जी की लकड़ी की प्रतिमा

Pimpleshwar Hanuman Mandir: लखनऊ प्रयागराज राजमार्ग के किनारे स्थित पीपलेश्वर चुरुवा हनुमान मंदिर यूपी का इकलौता ऐसा हनुमान मंदिर है, जहां पर हनुमान जी की प्रतिमा लकड़ी की है. यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है. इसे रायबरेली का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है.

100 साल पुराना चमत्कारी मंदिरजहां मौजूद है हनुमान जी की लकड़ी की प्रतिमा
बाराबंकी : जुलाई का महीना खत्म होने में 3 दिन बाकी है लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून का कहर जारी है. तेज बारिश और बाढ़ के कारण खरीफ की फसलों के साथ सब्जियों को काफी नुकसान हुआ है. हालत ये हैं कि धान के साथ सब्जियों के खेत पानी में डूब कर बर्बाद हो गए हैं. इस कारण सब्जी मंडी में सब्जियों की आवक कम हुई और दाम तेजी से बढ़े हैं. इस समय किसान टमाटर की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. खुदरा बाजार में टमाटर 100 रुपए से ऊपर बिक रहा है. टमाटर की खेती वैसे तो पूरे साल की जाती है. पर बारिश में इसकी खेती करने पर पैदावार अच्छी होती है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. हालांकि बरसात में टमाटर की खेती में मुनाफा कमाने के लिए पौधों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि बारिश में पौधौं को अधिक जलजमाव से बचाने की जरूरत होती है. साथ ही इस दौरान पौधों में संक्रमण कि शिकायत अधिक हो सकती है क्या है मचान विधि? टमाटर की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान सौरव ने बताया कि वैसे तो हम सब्जियों की खेती कई सालों से कर रहे हैं पर पहले वर्ष जब हमने टमाटर की खेती की शुरुआत एक बीघे से की. हमें अच्छा फायदा मिला आज करीब एक एकड़ में टमाटर की खेती हम मचान विधि से कर रहे हैं. क्योंकि बरसात के मौसम में फसल में सड़न-गलन का खतरा ज्यादा रहता है पर इस विधि से करने से बारिश के पानी से फशल को कम नुकसान होता है और फसल ज्यादा दिनों तक चलती है. इस विधि से टमाटर की खेती में करीब एक बीघे में 20 से 25 हजार रुपए की लागत आती है. वहीं मुनाफा करीब एक फसल पर ढाई से तीन लाख रुपए तक हो जाता है. 55 दिनों में शुरू होगा उत्पादन सौरव ने बताया कि पहले हम टमाटर के बीज को प्लास्टिक की ट्रे में नर्सरी तैयार करते हैं उसके बाद खेत की गहरी जुताई करके मेड बना देते हैं. फिर मेड पर टमाटर के पौधे की रोपाई कर देते हैं. रोपाई के तुरंत बाद इसकी सिंचाई की जाती हैं फिर जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाता है तब इसके पौधे को बांस वह डोरी के सहारे बांध दिया जाता है. जिससे पौधा सीधा रहता और जो फल लगते है उनमें मिट्टी व रोग नही लगते और तोड़ने में भी आसानी होती है. वहीं पौधा लगाने के महज 50 से 55 दिनो में फसल निकलना शुरू हो जाती है. Tags: Agriculture, Barabanki News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 27, 2024, 13:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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