निर्मल कुमार राजपूत/मथुरा: उत्तर प्रदेश का मथुरा मंदिरों के नाम से ही नहीं, बल्कि खाने के लिए भी जाना जाता है. कान्हा की नगरी के लोग खाने के बेहद शौकीन हैं. इसी शहर में अनोखे समोसे मिलते हैं. जी हां, प्याज से बने. करीब 32 साल पहले से यह काम शुरू हुआ था. उस वक्त 1 रुपये कीमत हुआ करती थी. अब रोजोना लोगों की भारी भीड़ इन समोसों के जायके का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं.
प्याज के समोसों की ऐसे हुई थी शुरुआत
वाह क्या समोसा है. खाकर मजा आ गया. ये शब्द इस दुकान पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मुंह से निकलता दिखाई देता है. खाना बनाते समय दिमाग की बत्ती चली तो समोसे का आविष्कार हो गया. इस आविष्कार को खाने के लिए हजारों लोग आते हैं. दुकान स्वामी माधव ने बताया की 32 साल पहले पिता राजेंद्र गुप्ता जी ने इस काम की शुरुआत की थी. पिता जी खाने के और बनाने के बहुत ही दीवाने थे. पिता जी अक्सर माता जी के साथ कुछ न कुछ रसोई में नया आविष्कार किया करते थे. प्याज का समोसा भी उन्हीं का आविष्कार है.
उस वक्त 1 रुपये हुआ करती थी कीमत
पिता राजेंद्र प्रसाद गुप्ता जी ने काम की शुरुआत 5 मई 1992 को पहला प्याज़ का समोसा बनाकर की. खाने वालों को समोसे का स्वाद बेहद पसंद आया. तब से लेकर आज तक प्याज़ का समोसा दुकान का पहली पसंद है. जो भी ग्राहक एक बार समोसा खा लेता है, वो दूसरी बार जरूर आता है. उन्होंने बताया की 32 साल पहले रेट समोसे का ₹1 रूपये हुआ करता था. आज 2024 की बात की जाये तो महंगाई को देखते हुए ₹14 रुपये का प्याज का समोसा बेचा जाता है. प्याज के समोसा के साथ चिली पनीर, आलू, मंचूरियन के समोसे भी वो बेचते हैं.
हर दिन बिकती है 5000 प्लेट
माधव बताते हैं की सुबह 6.30 बजे दुकान खुल जाती है. यहां दुकान खुलने से लेकर दुकान बंद होने तक लोगों का तांता समोसे के लिए लगा रहता है. उन्होंने बताया की करीब 5000 प्लेट प्रतिदिन सेल हो जाती हैं. 21 प्रकार के खड़े मसालों से समोसा तैयार होता है. ग्राहक किशोरी ने बताया कि यहां के प्याज़ के समोसे का कोई तोड़ नहीं है.
Tags: Food, Local18, Mathura newsFIRST PUBLISHED : June 22, 2024, 15:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed