मीठा खाने के हैं शौकीन तो पहुंच जाएं यहां मिलेगी अलग स्वादिष्ट रसमलाई
मीठा खाने के हैं शौकीन तो पहुंच जाएं यहां मिलेगी अलग स्वादिष्ट रसमलाई
कन्नौज के बड़ा बाजार में शंकर स्वीट्स नाम का मिष्ठान भंडार हैं. यहां की कई मिठाइयां बहुत प्रसिद्ध है लेकिन लोगों को यहां पर रसमलाई का स्वाद खास पसंद आता है क्योंकि रूई जैसी मुलायम रसमलाई खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है.
अंजली शर्मा/कन्नौज: कन्नौज में अगर आप इत्र की खरीदारी कर रहे हैं और आपको कुछ मीठा खाने का मन कर रहा है जिससे ठंडक का भी एहसास हो तो आपको कन्नौज के शंकर स्वीट्स में सबसे शुद्ध और लजीज रसमलाई का स्वाद मिलेगा. यहां पर दो प्रकार की रसमलाई मिलती है. एक छोटी और दूसरी बड़ी देखते ही मुंह में पानी आ जाता है, और इसका स्वाद इतना बेमिसाल है जो पूरे कन्नौज में आपको कहीं नहीं मिलेगा. कन्नौज मुख्यालय से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर इतर वाली मार्केट बड़ा बाजार में शंकर स्वीट्स के नाम से यह दुकान है.
दुकानदार मुदित वैश्य बताते हैं कि यह दुकान हमारे बाबा दयाशंकर वैश्य ने इसकी शुरुआत करीब 25 साल पहले की थी. जिसके बाद उनके पिताजी और उनके साथ उनके भाई और उनके परिवार के लोग इस दुकान को संभाल रहे हैं. मुदित वैश्य बताते हैं कि हम लोग ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी की चीज प्रोवाइड करते हैं. हम लोग क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करते. हमारे यहां गर्मियों में रसमलाई लोगों को बहुत पसंद आती है लोग बहुत दूर-दूर से यहां पर रसमलाई खाने आते हैं और पैक करा कर भी ले जाते हैं.
दो प्रकार की रसमलाई
इस मिष्ठान भंडार पर दो प्रकार की रसमलाई मिलती है. एक छोटी और एक बड़ी गर्मी के मौसम में यह ठंडी रसमलाई पेट में तरावत का भी काम करती है. शुद्ध दूध के छेने से बनाई गई यह रसमलाई स्वाद में सबसे बेमिसाल है. इस रसमलाई में कन्नौज क्षेत्र की खुशबू रहती है जिससे इसका स्वाद और खुशबू दोनों ही बढ़ जाती है इसमें गुलाब और केवड़े के इत्र का प्रयोग भी किया जाता है. इस मिष्ठान भंडार पर छोटी रसमलाई ₹350 किलो की रहती है. वही बड़ी रसमलाई की बात की जाए तो यह रसमलाई ₹25 प्रति पीस मिल जाती है.
इन चीजों से होती है तैयार
यह खास किस्म की रसमलाई शुद्ध दूध से तैयार की जाती है. अच्छी क्वालिटी के दूध को फाड़ कर छेना बनाया जाता है. जिसके बाद इसको छोटे-छोटे गोल आकार देकर उसको रसगुल्ला जैसा बनाया जाता है. जिसमें कई तरह के ड्राई फ्रूट्स कभी इस्तेमाल होता है. इसके बाद इसे दूध फैला कर उसमें भिगो दिया जाता है साथ ही इसमें खाने वाले पीले कलर का भी इस्तेमाल किया जाता है, और फिर इसे रात भर इसके टेंपरेचर पर छोड़ दिया जाता है. जिसके बाद इसे खाने से पेट में तरावत भी बनी रहती है.
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Tags: Food, Food 18, Local18FIRST PUBLISHED : April 28, 2024, 17:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed