पाकिस्तान के अंबेडकर बाबा साहेब की तरह ही बने पहले कानून मंत्री लेकिन
पाकिस्तान के अंबेडकर बाबा साहेब की तरह ही बने पहले कानून मंत्री लेकिन
Jogendranath Mandal: भारत की तरह ही पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्रनाथ मंडल भी एक दलित हिंदू थे. मगर पाकिस्तान का संविधान बनाने के बावजूद उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया और उनको भागकर भारत वापस लौट आना पड़ा.
हाइलाइट्स जोगेंद्रनाथ मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री थे. दलित होने के बावजूद, उन्हें पाकिस्तान से भागना पड़ा. मंडल ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का विरोध किया था.
नई दिल्ली. इस वक्त पूरे देश में संविधान को बनाने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर बवाल जोरों पर है. अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अपना बयान देते समय एक कमेंट किया था. जिस पर विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर रखा है. कम ही लोगों को पता है कि भारत की तरह की पाकिस्तान में भी संविधान को बनाने का काम एक दलित हिंदू जोगेंद्रनाथ मंडल ने किया था. जिनको पाकिस्तान का ‘अंबेडकर’ भी कहा जाता है. जोगेंद्रनाथ मंडल नवजात पाकिस्तान राज्य के कानूनों को बनाने वाले लोगों में एक प्रमुख शख्स के रूप में उभरे.
शुरुआती जीवन
जोगेंद्रनाथ मंडल ने कानून और श्रम के मंत्री के साथ-साथ राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों के मंत्री के रूप में काम किया. पूर्वी पाकिस्तान में अपना आधार बनाए रखने का विकल्प चुनते हुए मंडल ने पाकिस्तान में कानून और श्रम मंत्री के रूप में मंत्री पद संभाला. जोगेंद्रनाथ मंडल का जन्म 29 जनवरी 1904 को ब्रिटिश भारत के तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के बरिसाल जिले में हुआ था. 1929 में स्नातक होने के बाद, उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की. जोगेंद्रनाथ मंडल ने 1937 के भारतीय प्रांतीय विधानसभा चुनावों के दौरान एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. 1940 में सुभाष चंद्र बोस के कांग्रेस से निष्कासन के बाद, मंडल ने खुद को मुस्लिम लीग (एमएल) के साथ जोड़ लिया. इसके बाद उन्होंने एमएल के मुख्यमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी की कैबिनेट में मंत्री पद संभाला.
पाकिस्तान में राजनीतिक कैरियर (1947-1950)
अक्टूबर 1946 में मुस्लिम लीग के भारत की अंतरिम सरकार में शामिल होने पर जिन्ना ने मंडल को लीग के पांच प्रतिनिधियों में से एक के रूप में नामित किया. जब मुहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल की भूमिका संभालने के लिए तैयार हुए , तो उन्होंने मंडल को सत्र की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी सौंपी, जिससे मंडल की दूरदर्शिता और नैतिक ईमानदारी में उनके गहरे विश्वास को बल मिला. मंडल को बाद में पाकिस्तान के कानून और श्रम मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. मुस्लिम बहुसंख्यकों के वर्चस्व वाली नौकरशाही के भीतर लगातार अधीनता के कारण मंडल का इस प्रतिष्ठित पद पर कार्यकाल छोटा हो गया. सितंबर 1948 में जिन्ना की मृत्यु के बाद स्थिति और भी खराब हो गई. पुलिस द्वारा समर्थित मुस्लिम दंगाइयों द्वारा अपने मतदाताओं, दलितों के खिलाफ किए गए अत्याचारों का सामना करते हुए, मंडल ने अपना विरोध जताया. इस सैद्धांतिक रुख के कारण उनके और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच मतभेद पैदा हो गए.
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भारत वापसी
1950 में, जोगेंद्रनाथ मंडल को भारत वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा. यह फैसला पाकिस्तान में उनके खिलाफ लंबित गिरफ्तारी वारंट के कारण लिया गया था. उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा सौंपते हुए, मंडल ने दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचार करने के लिए जिम्मेदार दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई न करने में पाकिस्तानी प्रशासन की कथित विफलता को रेखांकित किया. भारत लौटने पर, मंडल को किसी भी राजनीतिक दल द्वारा स्वीकृति नहीं मिली. उनकी मृत्यु 5 अक्टूबर 1968 को बोंगांव, उत्तर 24 परगना में में हुई.
Tags: Amit shah, Dr. Bhim Rao AmbedkarFIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 19:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed